इन्सान अपनी करतूतों से प्रकृति के उपादानों का विनाश कर रहा है , जो भी बिगाड़ और विनष्टीकरण का कारण है | आज इंसान ख़ुद प्राकृतिक संसाधनों को मिटाने पर लगा हुआ है | लगातार प्रकृति के कार्यों में हस्तक्षेप कर इन्सान ने खुद को प्रकृति के सामने ला खड़ा किया है जहां प्रकृति उसका विनाश कर सकती है…. जंगलों की कटाई कर असंतुलन पैदा किया जा रहा है…. हवा को प्रदूषित कर दिया गया है तो  जल को भी इंसान ने नहीं बख्शा | जब से पृथ्वी बनी हैं, छिटपुट विनाश के कई चरण हुए हैं, कई प्रजातियां विलुप्त हुई और कई नई आई हैं | भूगर्भीय साक्ष्य भी पृथ्वी पर कई प्राचीन विनाशकारी हलचल को दर्शाते हैं., चाहे वे भूकम्प के रूप में ,  ज्वालामुखी के रूप में ,  या फिर बाढ़ के रूप में जिसकी परिणति इससे पहले कई बार  हिमयुग के रूप में हुई है तो कई बार भयंकर बाढ़ , तूफ़ान आदि के रूप में | ये परमात्मा की चेतावनियाँ और उसके वजूद की निशानियाँ भी हैं | वही स्रष्टा है और संहारक भी |

अब विज्ञान भी इस तथ्य को मानने लगा है | भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान के मशहूर प्रफेसर स्टीफन हॉकिंग ने कुछ वर्ष पहले दुनिया को चेतावनी दी थी  कि जिस ‘गॉड पार्टिकल्स’ ने सृष्टि को स्वरूप और आकार दिया है, उसमें पूरी दुनिया को खत्म करने की भी क्षमता है। प्रोफ़ेसर हॉकिंग की ‘ संडे टाइम्स ‘ [ लन्दन 7 सितंबर 2014 ] को दी इस रिपोर्ट ने विज्ञान जगत में खलबली मचा दी। वैज्ञानिक इस विषय को लेकर काफी रोमांचित थे। हॉकिंग का कहना था  कि अगर वैज्ञानिक गॉड पार्टिकल्स को हाई टेंशन (उच्च तनाव) पर रखेंगे तो इनसे ‘कैटास्ट्रॉफिक वैक्यूम’ तैयार होगा। यानी इससे बुलबुलानुमा गैप तैयार होंगे। इससे ब्रह्मांड में गतिमान कण टूट-टूटकर उड़ने लगेंगे और आपस में टकराकर चूर-चूर हो जाएंगे। हॉकिंग ने कहा कि हिग्स बोसोन १०० अरब गीगा इलेक्ट्रॉन वोल्ट से अधिक की ऊर्जा पर अति स्थिर हो सकता है। ऐसी स्थिति में एक विनाशकारी निर्वात (वैक्यूम) बन जाएगा। बुलबुले के रूप में बना यह निर्वात प्रकाश की गति से विस्तार लेगा और पूरे ब्रह्मांड के विनाश का कारण बन जाएगा |

हालांकि भौतिकविदों ने इस मसले को आपदा की आशंका मानकर किसी तरह का प्रयोग नहीं किया है, लेकिन हॉकिंग ने दुनिया के वैज्ञानिकों को सचेत जरूर किया है। सैद्धांतिक भौतिकीविदों ने हिग्स बॉसन के बारे में लिखा है कि उनकी नई किताब ‘ स्टार्म्स ‘ में नील आर्मस्ट्रॉन्ग, बज़ एलड्रीन, क्वीन गिटारिस्ट ब्रायन आदि के लेक्चर्स का चयन है। उनके अनुसार, सृष्टि की हर चीज (तारे, ग्रह और हम भी) पदार्थ से बनी है। मैटर अणु और परमाणुओं से बना है और मास वह फिजिकल प्रॉपर्टी है, जिससे इन कणों को ठोस रूप मिलता है। मास जब ग्रैविटी से गुजरता है, तो वह भार की शक्ल में भी मापा जा सकता है, लेकिन भार अपने आपमें मास नहीं होता, क्योंकि ग्रैविटी कम-ज्यादा होने से वह बदल जाता है। मास आता कहां से आता है, इसे बताने के लिए फिजिक्स में जब इन तमाम कणों को एक सिस्टम में रखने की कोशिश की गई तो फॉर्म्युले में गैप दिखने लगे। इस गैप को भरने और मास की वजह बताने के लिए 1965 में पीटर हिग्स ने हिग्स बोसोन या गॉड पार्टिकल का आइडिया पेश किया।

महाप्रलय की धारणा धर्मग्रन्थों में मौजूद है | हिन्दू धर्म में भी महाप्रलय का उल्लेख है | अन्य धर्मग्रन्थों के साथ ही महाभारत में कलियुग के अंत में प्रलय होने का जिक्र है, लेकिन यह किसी जल प्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा। महाभारत के वनपर्व में उल्लेख मिलता है कि सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा कि सातों समुद्र और नदियां सूख जाएंगी। संवर्तक नाम की अग्रि धरती को पाताल तक भस्म कर देगी। वर्षा पूरी तरह बंद हो जाएगी। सब कुछ जल जाएगा, इसके बाद फिर बारह वर्षों तक लगातार बारिश होगी। जिससे सारी धरती जलमग्र हो जाएगी। इस विषय पर इस्लाम में भी विवरण है | ईसाई और इस्लाम धर्म में भी महाप्रलय [ क़यामत ] की धारणा विद्यमान है |

लगभग ढाई सौ पहले के चर्चित भविष्यवक्ता नास्त्रेस्देमस की इस बारे में भविष्यवाणी मौजूद है | नास्त्रेस्देमस ने प्रलय के बारे में बहुत स्पष्ट लिखा है कि मै देख रहा हूँ,कि एक आग का गोला पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है,जो धरती से मानव के काल का कारण बनेगा । एक अन्य जगह वे लिखते हैं कि एक आग का गोला समुद्र में गिरेगा और पुरानी सभ्यता के समस्त देश तबाह हो जाएंगे। माया कलेंडर के अनुसार , 21 दिसंबर 2012 के बाद दुनिया को नहीं होना चाहिए , हालाँकि यह भविष्यवाणी गलत साबित हो चुकी है | साउथ ईस्ट मेक्सिको के माया कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 के बाद की तिथि का वर्णन नहीं है। कैलेंडर उसके बाद पृथ्वी का अंत बता रहा है। माया कैलेंडर के मुताबिक 21 दिसंबर 2012 में एक ग्रह पृथ्वी से टकराएगा, जिससे सारी धरती खत्‍म हो जाएगी। यह बात सिर्फ़ अफ्वाह साबित हो चुकी है | लगभग 250 से 900 ईसा पूर्व माया नामक एक प्राचीन सभ्यता स्थापित थी। ग्वाटेमाला, मैक्सिको, होंडुरास तथा यूकाटन प्रायद्वीप में इस सभ्यता के अवशेष खोजकर्ताओं को मिले हैं।

कहा जाता है कि माया सभ्यता के काल में गणित और खगोल के क्षेत्र उल्लेखनीय विकास हुआ था। अपने ज्ञान के आधार पर माया लोगों ने एक कैलेंडर बनाया था। कहा जाता है कि उनके द्वारा बनाया गया कैलेंडर इतना सटीक निकला है कि आज के सुपर कम्प्यूटर भी उसकी गणनाओं में 0.06 तक का ही फर्क निकाल सके और माया कैलेंडर के अनेक आकलन, जिनकी गणना हजारों सालों पहले की गई थी, सही साबित हुए हैं। मगर क़यामत की तारीख़ के सिलसिले में माया कलेंडर असफल सिद्ध हो चुका है | फिर भी अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने कुछ समय पहले घोषणा की है कि 13 अप्रैल 2036 को पृथ्वी पर प्रलय हो सकता है। खगोलविदों के अनुसार अंतरिक्ष में घूमने वाला एक ग्रह एपोफिस 37014.91 किमी/ प्रति घंटा) की रफ्तार से पृथ्वी से टकरा सकता है। इस प्रलयंकारी भिडंत में हजारों लोगों की जान भी जा सकती है,  हालांकि नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे लेकर घबराना नहीं चाहिए |

वास्तव में परमात्मा ही पूरे ब्रह्माण्ड का वास्तविक स्वामी और नियंता है | वह सर्व शक्तिसंपन्न है | मरणधर्मा इन्सान और दिव्य गुण संपन्न देवता उसकी शक्ति को माप नहीं सकते | केनोपनिषद् में परमात्मा की सर्वशक्ति – संपन्नता की पुष्टि करते हुए कहा गया है –

केनेषितं पतितं प्रेषितं मनः केन प्राण प्रथमं प्रैतियुक्तः |

केनेषितां वाच मिमाँ वदन्ति चक्षुः श्रोतं क उ देवो पुनक्ति ||

अर्थात , यह मन किसके चलाने से आवश्यक और मनमोहक वस्तुओं की ओर जाता है और किसकी शक्ति से ये प्राण सर्व शरीरों को चलाते और प्रत्येक स्थानों पर अपना कार्य करते हैं | किसकी शक्ति से यह जिह्वा शब्दों को कहती है और कोई इन्द्रिय शब्दों को बोल नहीं सकती | परमात्मा ही इनका मूल उत्प्रेरक है |

– Dr RP Srivastava, Editor-in-Chief,”Bharatiya Sanvad”

tags ; God is the true master and controller of the universe

 

कृपया टिप्पणी करें

Categories: धर्म