धर्म

‘ शिव तांडव स्तोत्र ‘ – भगवान शंकर की प्रसन्नता प्राप्ति का अमोघ साधन 

मान्यता है कि शिवभक्त रावण ने कैलाश पर्वत ही उठा लिया था और जब पूरे पर्वत को ही लंका ले चलने को उद्यत हुआ उस समय अपनी शक्ति पर पूर्ण अहंकार भाव में था। महादेव को उसका यह अहंकार पसंद नही आया तो भगवान् शिव ने अपने अंगूठे से तनिक Read more…

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गायत्री मंत्र : चश्म-ए ख़िरद को अपनी तजल्ली से नूर दे

सन 1911 में गायत्री समाज के संस्थापक आचार्य श्रीराम शर्मा का जन्म सनाढ्य ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पं॰ मदन मोहन मालवीय ने उनका यज्ञोपवीत संस्कार किया और मंत्र – दीक्षा दी । शर्मा जी देश के स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान कई बार जेल गये । उन्होंने जिस सुधार आन्दोलन Read more…

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मिटा दे अपनी हस्ती को……

मिटा दे अपनी हस्ती को , अगर कुछ मर्तबा चाहे | कि दाना खाक में मिलकर गुले गुलज़ार होता है || – अल्लामा इक़बाल व्याख्या – ऐ जीव , यदि तू कुछ प्राप्त करने का इच्छुक है , तो अपने अस्तित्व को अर्थात अपनी अहंता को पूरी तरह मिटा दे Read more…

धर्म

मनुष्य का इन अवस्थाओं से निकलने का नाम ही मुक्ति और सन्मार्ग है 

वेद के अनुसार जन्म और मृत्यु के बीच और फिर मृत्यु से जन्म के बीच तीन अवस्थाएं ऐसी हैं जो अनवरत और निरंतर चलती रहती हैं। वह तीन अवस्थाएं हैं : जागृत, स्वप्न और सुषुप्ति। उक्त तीन अवस्थाओं से बाहर निकलने की विधि का नाम ही है हिन्दू धर्म। यह Read more…

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दिव्य संत देवरहा बाबा …. मचान ही जिनका महल था !

देवरहा बाबा का जन्म अज्ञात है। यहाँ तक कि उनकी सही उम्र का आकलन भी नहीं है। वह यूपी के देवरिया जिले के रहने वाले थे। मंगलवार, 19 जून सन् 1990 को योगिनी एकादशी के दिन अपना प्राण त्यागने वाले इस बाबा के जन्म के बारे में संशय है। कहा Read more…

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भर्तृहरि – महान राजा , महान वैरागी

भर्तृहरि राजा विक्रमादित्य उपाधि धारण करने वाले चन्द्रगुप्त द्वितीय के बडे भाई थे तथा उज्जैन के शासक थे जिन्होंने माया मोह त्यागकर जंगल में तपस्या की। राजा भर्तृहरि अनुमानतः 550 ई० से पूर्व हम लोगों के बीच आए थे। इनके पिता का नाम चन्द्रसेन था। पत्नी का नाम पिंगला था Read more…

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बिनु हरि भजन न जाहि कलेसा

प्रभु स्मरण से ही जीवन सुखमय और शांतिमय हो सकता है | यही सभी दुखों एवं कष्टों का निवारक है | मुसीबतों से छुटकारा दिलानेवाला है | ऋषियों,मुनियों और मनीषियों ने दुःखों से छुटकारा पाने और सच्ची सुख – शांति की प्राप्ति के उपक्रमों पर गहन विचार एवं चिन्तन किया Read more…

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‘ शिव तांडव स्तोत्र ‘ – भगवान शंकर की प्रसन्नता प्राप्ति का अमोघ साधन 

मान्यता है कि शिवभक्त रावण ने कैलाश पर्वत ही उठा लिया था और जब पूरे पर्वत को ही लंका ले चलने को उद्यत हुआ उस समय अपनी शक्ति पर पूर्ण अहंकार भाव में था। महादेव को उसका यह अहंकार पसंद नही आया तो भगवान् शिव ने अपने अंगूठे से तनिक Read more…

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आदि शंकराचार्य के जीवन की अलौकिक सच्चाई 

 भारतीय इतिहास में ऐसे कई महान दिग्गज हुए हैं, जिनका जीवन ही उनका परिचय रहा है। उन्हें किसी विशेष परिचय की जरूरत नहीं होती। केवल उनका एक जिक्र ही काफी होता है। ऐसा ही एक संन्यासी बालक था जो एक दिन गांव-गांव भटकता हुआ एक ब्राह्मण के घर भिक्षा मांगने Read more…

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द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक – बैजनाथ धाम 

 श्री बैजनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे ‘वैद्यनाथधाम’ कहा जाता है। यह स्थान झारखण्ड प्रान्त, पूर्व में बिहार प्रान्त के सन्थाल परगना के दुमका नामक जनपद में पड़ता है। मान्य ग्रन्थ प्राचीन शिव पुराण के अनुसार झारखण्ड प्रान्त के जसीडीह रेलवे स्टेशन के समीप स्थित देवघर का Read more…

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वाल्मीकि रामायण की कुछ रोचक और अनसुनी बातें ?

भगवान राम को समर्पित दो ग्रंथ मुख्यतः लिखे गए है एक तुलसीदास द्वारा रचित ‘श्री रामचरित मानस’ और दूसरा वाल्मीकि कृत ‘रामायण’। इनके अलावा भी कुछ अन्य ग्रन्थ लिखे गए है पर इन सब में वाल्मीकि कृत रामायण को सबसे सटीक और प्रामाणिक माना जाता है। लेकिन बहुत कम लोग जानते Read more…

धर्म

प्रभु का द्वार सबके लिए खुला है हर समय , हर पल

यह पहला मौक़ा नहीं है , जब मनुष्य की अपने आराध्य और पालनहार के प्रति भक्ति बरबस प्रकट हुई हो , चाहे वह इसे छिपाने के लिए अनेक जतन करे और नास्तिक होने का दावा करे | यह संबंध ही ऐसा है , जो अपने रंग में आख़िरकर रंग लेता Read more…

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अनंत आनद की खोज

 वेद में एकेश्वरवाद की शिक्षा बहुत उभरी हुई है | कहा गया है ” एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति ‘ अर्थात परमात्मा एक है , अद्वितीय है , दूसरा कुछ भी नहीं है | [ GOD is One Otherwise None ] शतपथ ब्राह्मण [ 14 / 4 / 2 / 22 ] का कथन है कि जो एक परमात्मा को छोड़कर अन्य की भक्ति करता है , वह Read more…

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काहे का अभिमान

जब सिकंदर भारत आया , तो एक फ़क़ीर से उसकी मुलाक़ात बड़े विचित्र ढंग से हुयी। सिकंदर को देखते ही फ़क़ीर हंसने लगा। उसे हँसते देख , सिकंदर को बड़ा ही अजीब लगा। उसने सोचा, ये तो मेरा अपमान है। उसने ऑंखें तरेरते हुए फ़क़ीर को देखा , तो इसपर Read more…

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श्रीकृष्ण से हमें बहुत कुछ सीखना है

कर्ण ने कृष्ण से पूछा – मेरा जन्म होते ही मेरी माँ ने मुझे त्यज दिया। क्या अवैध संतान होना मेरा दोष था ? द्रोणाचार्य ने मुझे सिखाया नहीं क्योंकि मैं क्षत्रिय पुत्र नहीं था। परशुराम जी ने मुझे सिखाया तो सही परंतु श्राप दे दिया कि जिस वक्त मुझे Read more…