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“त्राहिमाम युगे युगे” – सच्चाई की खुली दास्तान 

“त्राहिमाम युगे युगे” सच्चाई से रूबरू कराता एक उपन्यास:-जाने माने पत्रकार,कवि,लेखक,अनुवादक व हिंदी,उर्दू,फ़ारसी भाषाओं के सिद्धहस्त कलमकार श्री रामपाल श्रीवास्तव की न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, दिल्ली से सद्यः प्रकाशित उपन्यास”त्राहिमाम युगे युगे”पढ़ने को मिला।रोचक भाषा शैली व आमजन के सरोकारों से जुड़े विषय वस्तु के कारण जिज्ञाशा जगी तो पढ़ता ही Read more…

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‘त्राहिमाम युगे युगे’- युगीन मनोभावों का सफल चित्रण

उपन्यास ‘त्राहिमाम युगे युगे’ को पढ़ने और उस पर पाठकीय प्रतिक्रिया लिखने का अवसर मिला | ‘त्राहिमाम युगे युगे’ एक उपन्यास है जिसे जनपद बलरामपुर में जन्मे श्री रामपाल श्रीवास्तव ने लिखा है । उपन्यास का मुख्य पात्र माधवकांत सिन्हा है जो देश के एक नामी मीडिया समूह में कार्यरत Read more…

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अनुचेतना के नए आयामों से प्राणवान “एक सागर अंजलि में”

कविता क्या है ? यही ना, मनुष्य की असीम उत्कंठा की पूर्ति। गहन अभाव ही इसका बीज-तत्व है। निश्चय ही जब यह अभाव लोकोत्तर रूप ग्रहण कर लेता है, तब कवि अपनी अबोधपूर्वा स्मृति में डूबकर नए मोती तलाश कर काव्य रूप में प्रस्तुत कर पाता है। उसके डूबने की Read more…

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मनोरम कल्पना और हृदयग्राही उपमाओं से सज्जित “प्रकृति के प्रेम पत्र”

संसार में प्रेम ही ऐसा परम तत्व है, जो जीवन का तारणहार है। यही मुक्ति और बाधाओं की गांठें खोलता है और नवजीवन का मार्ग प्रशस्त करता है। यह अलभ्य एवं अप्राप्य भी नहीं, जगत भर में बिखरा पड़ा है। तात्पर्य यह कि प्रेम की पाती हर जगह मौजूद है, Read more…

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लाजवाब है “अर्धवृत्त में घूमता सूरज”

विनोद अनिकेत हिन्दी कविता के देदीप्यमान – जाज्वल्यमान नक्षत्र सदृश हैं। इनकी भाषिक संरचना का जवाब नहीं ! भाषा के विशिष्ट सामर्थ्य को उजागर करने का अंदाज़ कोई कवि से सीखे। यही कविता की ख़ास इकाई है। “अर्धवृत्त में घूमता सूरज” इसका जीवंत उदाहरण है, जो उनका पहला काव्य संग्रह Read more…

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“सुन समन्दर” में अनगिनत भावों एवं रिश्तों की गहन तलाश 

सत्य प्रकाश असीम की कविताएं अनगिनत भावों एवं रिश्तों की गहन तलाश और उनका एहतिसाब हैं। इनमें जीवन की नाना प्रकार की अनुभूत गहरी तल्ख़ियां विद्यमान हैं, जो मानव पीड़ा को सहज रूप से निरूपित करने में सक्षम हैं। इसलिए भी उनको दर्द और पीड़ा का कवि भी माना जा Read more…

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“एक मुश्किल समय में” फबीली कविताएं 

“एक मुश्किल समय में” सामने है। यह काव्य संग्रह है प्रतिभ युवा कवि उपेंद्र यादव का। इससे पहले कवि का “तुम्हारे होने से” से काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुका है। 156 पृष्ठीय ताज़ा संग्रह में कुल मिलाकर 75 कविताएं हैं। इन्हें पढ़कर मुझे ठीक से पता चला कि कवि प्रगतिशील, Read more…

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 “त्राहिमाम युगे युगे” – एक सशक्त उपन्यास 

”त्राहिमाम युगे युगे ” अपने बलरामपुर के बहुआयामी लेखक राम पाल श्रीवास्तव का एक ऐसा उपन्यास है जिसमें नई ज़मीन तोड़ी गई  है। इस उपन्यास का लेखक बहुपठित और पंडित व्यक्तित्व का स्वामी है और उत्तरप्रदेश के अन्य कायस्थ समाज के शायर और अदीबों की तरह गंगाजमुनी तहज़ीब की  वकालत Read more…

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निकृष्ट होती ग्रामीण व्यवस्था का यथार्थमयी चित्रण 

कवि, शोधार्थी, उपन्यासकार राम पाल श्रीवास्तव द्वारा रचित उपन्यास “त्राहिमाम युगे युगे” के शीर्षक से ही पाठक मन में यह प्रभाव पड़ जाता है कि यह कृति हर युग में मनुष्य की मनुष्य के हाथों हो रही प्रताड़ना, क्रूर-खसूट अमानुषिकता से उपजे करने की दर्द गाथा है, क्योंकि यह विनाशकारी Read more…

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“त्राहिमाम युगे युगे”-ग्रामीण जीवन के विविध रंगों से सराबोर 

त्राहिमाम युगे युगे विधा : उपन्यास लेखक : राम पाल श्रीवास्तव प्रकाशक : न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन नई दिल्ली प्रथम संस्करण : 2024 मूल्य : 425 रुपए …………… सर्व प्रथम यह स्पष्ट कर दूँ की पुस्तक के विषय में यह  मेरी सहज प्रतिक्रिया है जिसका एक मात्र उद्देश्य पुस्तक के विषय Read more…

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जीवन के यथार्थ का उपन्यास : ‘त्राहिमाम युगे-युगे’

उपन्यास जीवन के विस्तृत पटल पर फैली अनेक कहानियों की एकाकार प्रस्तुति का नाम है। शब्द सीमा से परे वर्णन की स्वतंत्रता, अनर्गल प्रलाप की पूर्ण संभावना को जन्म देती है। इससे बचना लेखक के लिए मुश्किल होने के साथ साथ अपरिहार्य भी होता है। उपन्यास लेखन लेखक के धैर्य Read more…

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“त्राहिमाम युगे युगे”- ज्वलंत विसंगतियों का आईना 

त्राहिमाम युगे युगे (उपन्यास)लेखक – राम पाल श्रीवास्तव प्रकाशक -न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन नई दिल्ली प्रथम संस्करण -2024मूल्य -425 रुपए यह चिरंतन सत्य है कि मृत्यु का निर्धारण जन्म के साथ ही हो जाता है। भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण भी अर्जुन को मृत्यु के स्वाभाविक होने का संदेश देते हैं- “जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं Read more…

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‘त्राहिमाम युगे युगे’ – एक गंगा जमुनी दस्तावेज़ !

इस सप्ताह, पिछले कुछ दिनों से चर्चा में आयी ‘त्राहिमाम युगे युगे’, पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. मेरी रूचि को समझ कर आदरणीय राम पाल श्रीवास्तव जी से डाक द्वारा प्राप्त हई. ‘त्राहिमाम युगे युगे’ वरिष्ट पत्रकार राम पाल श्रीवास्तव जी की एक ऐसी पुस्तक है जिसका नाम आपको चकित Read more…

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भहराते कथा-भवन की “आख़िरी शहतीर”

हिंदी कहानी ने उतार-चढ़ाव भरे कई दौर गुज़ारे हैं। नए आयामों एवं रुख़ को तय किया है। प्रयोगों और आंदोलनों को भी झेला है। इन सबके चलते निश्चय ही कहानी का शिल्पगत स्वरूप निखरा, लेकिन इसके साथ ही इसका एक स्याह पहलू भी उभरकर सामने आया। वह यह कि अतिशय Read more…

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यथार्थवादी पुट से परिपूर्ण “डेढ़ आंख से लिखी कहानियां”

प्रतिभावान कथाकार तेजबीर सिंह सधर का प्रथम कथा संग्रह “डेढ़ आँख से लिखी कहानियाँ” पढ़ते समय ऐसा लगा कि एक ऐसे उपवन में विचरण कर रहा हूं, जहां नाना प्रकार के पुष्प अपनी सुगंध बिखेर रहे हैं। पाठक इनमें अनायास खो-सा जाता है। उसे यह भी बोध नहीं होता कि Read more…