एस बी आई और पंजाब नेशनल बैंक में साइबर सेंधमारी में लाखों रुपए की चपत लगने के बाद से ही हम बार – बार यह सुनते आए हैं कि सरकार बैंकिंग सुरक्षा को बढ़ा रही है | लेकिन अमलन यही हो रहा है कि साइबर अपराधी लोगों की गाढ़ी कमाई पर डाका डालने से बाज़ नहीं आ रहे हैं | अभी 15 अगस्त की पूर्व संध्या पर 1906 में स्थापित देश के दूसरे सबसे बड़े सहकारी बैंक – कॉसमॉस बैंक, जिसे पहले अर्बन कोपरेटिव बैंक के नाम से जाना जाता था,जिसके पुणे के गणेश खिंड स्थित मुख्यालय का सर्वर हैक  करके 94 करोड़ 42 लाख रुपए देश से बाहर ट्रांसफर करने का मामला सामने आया है। सात घंटे में डेढ़ हज़ार ट्रांजेक्शन करके यह चूना लगाया गया है | इस बाबत विगत 14 अगस्त को चतुःश्रृंगी पुलिस स्टेशन में दर्ज केस के अनुसार, यह साइबर डकैती गत 11 अगस्त को दोपहर तीन बजे से रात दस बजे के दौरान हुई | बैंक के मुख्यालय के सर्वर को हैक कर वीसा और रुपे डेबिट कार्ड के डाटा को चुराकर कई देशों से पैसे निकले गए | डेबिट कार्ड के 14, 849 ट्रांजैक्शन के जरिए 80.5 करोड़ रुपए बैंक के खातों से चुरा कर विदेशी खातों में ट्रांसफर किए गए। मालवेयर अटैक के जरिए ही हजारों डेबिट कार्ड को हैक किया गया । दूसरा ट्रांजैक्शन स्विफ्ट के जरिए किया गया। इसमें 13.9 करोड़ रुपए की रकम विदेशी खातों में भेजी गई । 11 और 13 अगस्त को रकम का ट्रांजैक्शन किया गया। एक कर्मचारी मैसेज जारी करता है। दूसरा कर्मचारी उसे अधिकृत करता है । तीसरा मैसेज को वेरीफाई करता है। एक चौथा कर्मचारी एल ओ यू भेजे जाने के बाद लेन-देन से जुड़ा प्रिंट आउट रिसीव करता है। हैकर्स ने पूरी प्रक्रिया को हैक कर इसका इस्तेमाल रकम भेजने में किया। वास्तव में हमारा देश उस समय से ही साइबर अपराधियों व ठगों का सर्वाधिक शिकार हो रहा है , जब से हमारे यहाँ  डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया में तेज़ी आई है | साइबर ठगों का शिकार सिर्फ़ कम पढ़ी – लिखी जनता , जो जानकारियों के अभाव में जीती है , ही नहीं होती है, बल्कि पढ़े – लिखे लोग भी हो रहे हैं | पिछले साल सितंबर में झारखंड हाईकोर्ट के एक जज महोदय के बड़े भाई के बैंक एकाउंट को हैक कर साइबर लुटेरों ने पचास लाख रुपए निकाल लिए | ऐसी रिपोर्टें अधिक मिल रही हैं कि मोबाइल कंपनियों के पास आधार आदि के डाटा जमा होने के बाद फ्राड की ये घटनाएं बढ़ी हैं | इसके कारण भी लोग बैकों में पैसा जमा करने से बचने लगे हैं | इससे भी बढ़ते एन पी एस से टूटे बैंकों का कचूमर निकल रहा है | वे लगातार अपनी विश्वसनीयता खोते जा रहे हैं | ऊपर से केंद्र सरकार फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल का चाबुक लिए बैठी है,  हालाँकि इसे अभी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है , फिर भी बोतल से जिन कभी भी निकल सकता है !  वस्तुस्थिति यह है कि बिल में सरकार द्वारा केवल एक लाख छोड़कर पूरा पैसा लेने का प्रावधान है | ग्राहकों के पैसों से बैंकों की सेहत सुधारने का बिल में प्रावधान किया गया है | सरकार को चाहिए कि वह डिजिटलाइजेशन पर ही अपने को केन्द्रित करने के बजाय सामान्य बैंकिंग पर ध्यान दे | ऐसा न हो कि पहले से देश पर बोझ बने बैंक दीवालिया होकर देश की अर्थव्यस्था को और बदतर हालात में पहुंचा दें | जब बैंकों में पैसा सुरक्षित रहेगा , तो फिर महाजनी व्यवस्था लौटेगी और धीरे – धीरे पाषाण युग की ओर धकेलेगी !!!   – Dr RP Srivastava, Editor – in – Chief , ”Bharatiya Sanvad”

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