डॉ. माइकेल नास्त्रेदमस [ Nostradamus ] के बारे में मैंने बहुत सुना था कि लगभग पांच दशक पहले के फ्रांसीसी डॉक्टर एवं शिक्षक थे | यह बहुप्रचारित है कि वह विश्व का महान भविष्यवक्ता था, लेकिन यह बात भी उतनी ही सच है कि उसके सिलसिले में अतिशयोक्तियों का भी ताँता है, जो कुछ संशय ज़रूर उत्पन्न करती हैं | मुझे ताज्जुब उस समय अधिक होता है, जब हर बड़ी घटना को नास्त्रेदमस से खींच – तानकर जोड़ दिया  जाता है और उसे कालातीत बता कर महिमामंडित किया जाता है | इसे मैं बौद्धिकता पर प्रहार की घृणित साज़िश मानता हूँ | 

मेरा पूरे विश्व जनमानस से करबद्ध एक सवाल है कि क्या अब तक का विश्व भविष्य पुराण जैसी भविष्यवाणियाँ कर सका है ? क्या मत्स्य पुराण जैसी भविष्य की बात कोई विदेशी बता सका है ? इन पुराणों की बहुत – सी विशेषताओं में एक यह भी है कि इनकी बातें बहुत साफ़ – साफ़ है | इनमें कल्पना या प्रतीक नहीं , जैसा नास्त्रेदमस की तथाकथित भविष्यवाणियों में पर्याप्त रूप से मौजूद है | हमारे देश में इस विषय में कल्पना नहीं चलती | पुराणों की एक अन्य ख़ूबी इनसे  लेखक के नाम जुड़ा नहीं होना है | पता करने पर ही पता चलेगा कि रचनाकार कौन हैं | 

भविष्य पुराण में वेद व्यास जी ने स्वयं भविष्यवाणी की है कि 4,900 शताब्दि कलियुग बीतने के पश्चात् भारत में बौद्धों का राज्य होगा, तदन्तर आद्य शंकराचार्य जी का प्रादुर्भाव के साथ ही वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार होगा और मनुस्मृति के आधार पर राजा राज्य करेंगें। पुनः 300 वर्षो तक भवनों तथा 200 वर्ष तक ईसाईयों का राज्य रहेगा। उसके बाद मौन (मत पत्रों) का राज्य रहेगा, जो 11 टोपी (राष्ट्रपति) तक चलेगा। यह क्रम लगभग 50 वर्ष तक चलेगा। इसके बाद से किसी भी पार्टी को बहुमत प्राप्त नहीं हो सकेगा। मंहगाई-भ्रष्टाचार बढ़ेगें। माता-पिता, साधु-सन्त, ब्राह्मण-विद्वान अपमानित होगें, तब भयानक युद्ध होगा। भारत पुनः अपने अस्तित्व में आकर विश्व गुरु पद पर स्थापित होगा। भारत में शास्त्रानुसार पुनः राज्य परम्परा की स्थापना होगी। (राष्ट्रीय सहारा, हिंदी संस्करण, वाराणसी, 8 सितम्बर, 1998) 

अंतर्राष्ट्रीय स्तर के महान संत स्वामी विवेकानंद ने भविष्यवाणी करते हुए कहा था- ‘भारत का पुनरुत्थान होगा, पर वह जड़ की शक्ति से नहीं, वरन् आत्मा की शक्ति के द्वारा। वह उत्थान विनाश की ध्वजा लेकर नहीं, वरन् शांति और प्रेम की ध्वजा से, संन्यासियों के वेश से, धन की शक्ति से नहीं, बल्कि भिक्षापात्र की शक्ति से संपादित होगा।’ (विवेकानंद साहित्य पुस्तक, भाग 9, पृ. 380)।

संत बाबा जय गुरुदेव महाराज ने भी भारत के संबंध में कई तरह की भविष्यवाणियां की है। उन्होंने भारत में एक ऐसे शासक के जन्म की बात कही थी, जो कि भारत से सभी तरह की बुराइयों को मिटा देगा। महाबली एक शासक होगा, धर्म मुकुट सिर पर धारेगा। आज यह भविष्यवाणी अत्यंत सार्थक सिद्ध हो रही है | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे ही शासक हैं | संत बाबा जय गुरुदेव ने कहा था कि भारतवर्ष में महान आत्मा का जन्म हो चुका है। भविष्य में भारत का राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री शाकाहारी-सदाचारी होगा। आगे खरे लोगों का समय आएगा। संसार में एक नई लहर फैलेगी। ईमानदार, धार्मिक व सच्चे लोगों को महत्व दिया जाने लगेगा। नीच व कुटिल लोगों के बुरे दिन आएंगे। हिन्दू धर्म में एक फकीर पैदा होगा, जो देश व दुनिया को बदल देगा।

उत्तराखंड के मशहूर संत स्वामी शिवानंद के अनुसार, आज विश्व में जो भी घटनाएं घटित हो रही हैं वे भारतीय शास्त्रानुसार पहले से ही सुनिश्चित हैं। नास्त्रेदमस के प्रशंसक बताते हैं कि नास्त्रेदमस ने निकेया [ Nicaea ] की चर्च – कौंसिल की स्थापना के वर्ष को आधार मानकर भविष्यवाणियाँ लिखीं | निकेया के चर्च की कौंसिल की स्थापना सन 1325 में हुई थी | अब आइए देखते और समझते हैं, नास्त्रेदमस की कुछ भविष्यवाणियों को | सबसे पहले यह समझ लेना चाहिए कि ज्योतिष एक विज्ञानं है, जिसके आधार पर भविष्य के बारे में बातें की जाती हैं | परिस्थितियाँ को देखकर भी भविष्य का अनुमान किया जाता है | नास्त्रेदमस ने दोनों किया है | इसलिए यह कहना भी नितांत दुरुस्त होगा कि उसकी सभी बातें ग़लत नहीं हैं, लेकिन हर बात सत्य हो, यह भी सत्य नहीं है | नास्त्रेदमस ने चतुष्पदियों [ Quartrain ] के रूप में भविष्यवाणियाँ की हैं |

नास्त्रेदमस ने यह भविष्यवाणी की थी -Out of the country of greater Arabia,Shall be born a strong master of Mohammedan law,Who shall vex Spain and conquer Grenada,And the sea shall come to the Italian nation.- चतुष्पदी, 55

व्याख्या – बृहत अरब देश के बाहर इस्लामी विधि – विधान का प्रकांड ज्ञाता जन्म लेगा | वह स्पेन को मुसीबत में डाल देगा और ग्रेनाडा पर विजय प्राप्त करेगा | उसके बाद वह समुद्री मार्ग से इटली में प्रवेश करेगा | यह भविष्यवाणी लगभग साढ़े चार सौ वर्ष पुरानी है, लेकिन ताबीर और मूर्तमान नहीं हुई | शायद यूँ ही बात कह दी हो या अभी घटित होनी शेष हो | इसे विडंबना ही कहेंगे कि नास्त्रेदमस की बातों को सही साबित करने की सनक ने बात का बतंगड़ बना दिया है, जैसे – लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गाँधी [ दोनों भारतीय प्रधानमंत्री थे ] के बारे में यह चतुष्पदी – 27 पेश की जाती है -One weak in land and poor Kindred,By thrusting and peace shall attain to Empire,Long time, shall reign a young women,Such as in a reign was never worse.

व्याख्या – भूमिहीनों और निर्धनों के देश में एक ऐसा व्यक्ति उभरेगा, जो अपनी योग्यता एवं सतत प्रयासों से उच्च पद प्राप्त कर लेगा | इसके बाद एक महिला का राजकाज में दख़ल होगा, जो युवावस्था में ही सत्तारूढ़ हो जाएगी और लंबे समय तक शासन करेगी | इस भविष्यवाणी को नास्त्रेदमस प्रशंसक लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गाँधी से जोड़ते हैं, जो उचित नहीं लगता | जिस समय यह बात कही गयी थी, भारतीय भूभाग को कोई भूमिहीनों और निर्धनों का देश नहीं कहता था, अपितु इस क्षेत्र को सोने की चिड़िया कहा जाता था | इसी तरह महात्मा गाँधी के सिलसिले में उसकी एक चतुष्पदी को कुछ प्रशंसक खींच – तानकर जोड़ते हैं, जो इस प्रकार है – From the land of Attica, source of all wisdom,Which at present is the rose of the world,The Pont [ iff ] ruined, its great pre – eminence,Will be subjected and wrecked beneath the waves.- चतुष्पदी, 31

ज्ञातव्य है कि प्रशंसकों की बात सही मान ली जाए तो कहना पड़ेगा कि जिस भारतीय भूभाग को भविष्यवक्ता भूमिहीनों और निर्धनों का देश कहता है, अचानक उसे  source of all wisdom [ सभी मेधा का स्रोत ] और rose of the world [ विश्व पुष्प ] कहने लगा ! यह बात कुछ समझ में नहीं आई, इसीलिए कुछ प्रशंसक इसे गाँधी जी से नहीं जोड़ पाते और इसका संबंध साइप्रस के राष्ट्रपति मकारियो से जोड़ते हैं , जो भी उचित नहीं लगता | सही मायने में विश्व में ज्ञान का केंद्र भारत है और रहा है , साइप्रस कदापि नहीं | एटिका देश कहाँ है , किसी को पता नहीं | यह कहना अनुचित है कि एटिका एशिया है , जो प्रूफ़ की गड़बड़ी से एटिका ही बना रहा | 

राजा पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित पुस्तक ” नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां ” का चिंतन – मनन के साथ अध्ययन किया जाए, तो यह तथ्य अवश्य उभरेगा कि अतिशयोक्ति से अधिक काम लिया गया है | मैं कोई ज्योतिषी या भविष्यवक्ता नहीं , मात्र पत्रकार हूँ | परिस्थितियों को भाँपकर सदा लिखा और कुछ अनुमान सत्य हुए | मिसाल के तौर पर, ग्लासनोस्त और प्रेस्त्रोइका के विफल होने और सोवियत संघ के विखंडन की बात मैंने अपने साप्ताहिक कॉलम ” विश्लेषण ” में लिखी थी , जो हिंदी के लोकप्रिय दैनिक ”आज ” के पटना संस्करण में 1988 ई. में प्रकाशित हुआ था | इस पर कोलकाता स्थित तत्कालीन सोवियत उच्चायोग ने आपत्ति जताई थी | 1991 में सोवियत विखंडन हुए और उसके अलग – अलग कई आज़ाद देश बन गए |

नास्त्रेदमस की इस अस्पष्ट भविष्यवाणी को सोवियत – विखंडन से जोड़ा जाता है – [ व्याख्या – उस समय मांस के स्थान पर मछली आएगी | एक आम क़ानून विरोध – स्वरूप बन जाएगा | पुरानी व्यवस्था पहले तो लागू रहेगी, परन्तु बाद में समाप्त हो जाएगी | तब दोस्तों में सब चलता है , जैसी सामान्य भावना भी नहीं रहेगी | – चतुष्पदी – 32  यह कैसी भविष्यवाणी और कहाँ के बारे में भविष्यवाणी ? मैंने तो सोवियत संघ के टुकड़े – टुकड़े होने की हेडिंग भी लगा दी थी | मैं यहाँ अपने एक अन्य ”विश्लेषण ” की चर्चा करूंगा | 1988 की ही बात है | कांग्रेस की टूटन और भाजपा के उठान के सिलसिले में मैंने लिखा था कि आने वाले समय में समूह के समूह कांग्रेसी भाजपा में शामिल होकर उसे मज़बूत करेंगे और भाजपा सत्ता के शिखर तक पहुँचेगी | आज भी कांग्रेस के क़द्दावर नेता तक भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं | यह सिलसिला कांग्रेस को कमज़ोर करके ही छोड़ेगा | 

– DR. RP SRIVASTAVA
Editor- in – Chief ” Bharatiya Sanvad ”

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