क्या 2007 में कोई 2 जी घोटाला हुआ था ? अगर सीबीआई की विशेष अदालत की मानें , तो ऐसा कुछ हुआ नहीं ! अदालत द्वारा विगत 21 दिसंबर 2018 को सभी आरोपियों को क्लीन चिट मिलना यही तो बताता है कि जिसे लेकर खूब हो – हल्ला मचा , गिरफ्तारियां हुईं यहाँ तक कि सरकार भी चली गई , वह मामला ही कुछ न था | मगर क्या इस फैसले के सियासी मायने भी हैं ? सीबीआई द्वारा हाईकोर्ट में मौजूदा फ़ैसले को चैलेंज करने की संभावित बात को अभी छोड़ दें और जो हुआ , उन घटनाक्रमों पर गौर करें , तो साफ़ पता चलता है कि सबूतों के जुटाने में सीबीआई की नाकामी के निहितार्थ हो सकते हैं | क्या ‘ पिंजरे के तोते ‘ जैसी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी एक बार फिर सत्य साबित हुई है ?

इसी वजह से पूर्व केन्द्रीय दूर संचार मंत्री ए. राजा [ द्रमुक नेता ] , द्रमुक सांसद कनिमोझी समेत सभी 17 आरोपियों को बरी होने के फैसले के बाद विपक्ष भाजपा पर हमलावर हुआ , जिस पर मोदी सरकार ने भी विपक्ष पर पलटवार किया | पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि कोर्ट का फैसला अपने आप में ही सब कह रहा है | इसे लेकर उस दौरान सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाया गया था, जिस पर कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया है | डॉ .सिंह ने कहा कि यूपीए सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार मुहिम छेड़ी गई थी और गलत नीयत से सरकार को बदनाम किया गया था | गौरतलब है कि उस वक्त 204 सांसदों वाली कंग्रेस पार्टी को इस 2 जी कांड का बड़ा झटका लगा था और पार्टी अन्यान्य कारणों के साथ 44 सीटों पर सिमट गई थी | इस घोटाले को 1 लाख 76 हज़ार करोड़ रुपए का बताया गया था |

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2जी फैसले पर कहा कि कोर्ट के इस फैसले को सर्टिफिकेट न मानें, ज़ीरो लॉस थ्योरी पहले ही रद्द हो चुकी है | उन्होंने कहा कि 2जी आवंटन के दौरान गड़बड़ी हुई थी, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रक्रिया को गलत माना था | 2001 के आधार पर 2007 में आवंटन किया गया | बैंक ड्राफ्ट को एडवांस तारीख में ही तैयार किया गया था , कट ऑफ डेट एडवांस में ही तय हो गया था |

वित्त मंत्री के बयान को ध्यान से समझें तो यह भी पता चलता है कि यह मामला अभी और खिंचेगा, चाहे इसे दिखावटी ही क्यों न रख जाए ! मगर इस मामले में आप नेता आशुतोष कुमार की टिप्पणी एक गंभीर स्थिति को जन्म देती है | उन्होंने नई दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में आरोप लगाया कि सीबीआई सीधे तौर पर केंद्र सरकार के तहत काम करती है और प्रधानमंत्री के इशारे पर 2 जी के आरोपियों को बचाया गया है | आरोपियों को क्लीन चिट का मिलना सीबीआई की साफ़ नाकामी है |

आप नेता आशुतोष के अनुसार , उक्त फैसले के बाद सीबीआई के पूर्व प्रमुख ए पी सिंह ने सामने आकर बयान दिया है कि इस मामले में सीबीआई के पास पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं द्रमुक नेता ए राजा के ख़िलाफ़ ज़रुरी सबूत थे और सुप्रीमकोर्ट ने भी बड़े पुख्ता सबूतों के आधार पर 2 जी के आवंटन को रद्द कर दिया था , तो फिर मोदी जी ऐसी क्या मजबूरी रही कि उन्हें और सीबीआई को पिछले साढ़े तीन वर्षों में कोई सबूत नहीं मिला ? आप नेता ने दावा किया कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी एयर द्रमुक प्रमुख करूणानिधि की मुलाक़ात हुई थी | अतः देश की जनता यह जानना चाहती है कि क्या दोनों के बीच कोई डील हुई ? कहीं ऐसा तो नहीं कि मोदी और उनकी सरकार ने सीबीआई के द्वारा द्रमुक नेताओं और बड़े – बड़े कारपोरेट घरानों को बचा लिया , जो इस मामले में फंसे थे |

उल्लेखनीय है कि इस मामले में चार्जशीट सीबीआई के पूर्व निदेशक ए पी सिंह ने दाखिल किया था | सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जाँच की तारीफ़ की थी | सभी 17 आरोपियों के ख़िलाफ़ धारा 409 के तहत आपराधिक विश्वासघात और धारा 120बी के तहत आपराधिक षडयंत्र के आरोप लगाए गए थे, लेकिन अदालत को कोई सबूत का न मिलना सचमुच हैरानकुन बात है | सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और ताज़ा फैसले को चैलेंज करना चाहिए , ताकि भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जागरूकता का फैलाव संभव हो सके | – Dr RP Srivastava

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