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” बचे हुए पृष्ठ ” – बुराई और अव्यवस्था को आईना 

वरिष्ठ पत्रकार – लेखक डॉ. रामपाल श्रीवास्तव की सद्य: प्रकाशित पुस्तक “बचे हुए पृष्ठ” इक्यावन आलेखों का संग्रह है जिसे शुभदा बुक्स, साहिबाबाद ने प्रकाशित किया है। सर्वविदित है कि रामपाल श्रीवास्तव नवभारत टाइम्स, नवजीवन, स्वतन्त्र भारत, आज, The Pioneer, साकेत शोभा जैसे मशहूर अखबारों से लम्बे समय तक जुड़े Read more…

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बारंबार पढ़े जाएँगे ” पढ़े जाते हुए शब्द “

” पढ़े जाते हुए शब्द ” हिंदी के यशस्वी कवि दिलजीत दिव्यांशु की चयनित कविताओं का संग्रह है, जिसका संपादन किया है वरिष्ठ कवि एवं लेखक बलवेंद्र सिंह ने | दिलजीत दिव्यांशु मानवीय संवेदना के कवि है, जिन्होंने जीवन को इंतिहाई बारीकी से समझा है और उसके मर्म को अपने Read more…

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अदब की ग़ज़ब दास्तान ” बलरामपुर से कंजेभरिया “

लब्ध प्रतिष्ठ लेखक पवन बख़्शी जी की सद्यः प्रकाशित पुस्तक ” बलरामपुर से कंजेभरिया ” पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ | पुस्तक कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक से लेकर समसामयिक घटनाओं को समाहित किए हुए है | वैसे यह मूलतः बलरामपुर के इतिहास की परतें खोलती है और यहां की विशेषकर साहित्यिक, Read more…

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अतीत के नए पृष्ठ खोलती ” स्मृतियों के झरोखों से तुलसीपुर “

अमृतब्रह्म प्रकाशन, प्रयागराज से सद्यः प्रकाशित वरिष्ठ लेखक एवं विविध विधाओं के साधक पवन बख़्शी जी की कृति ” स्मृतियों के झरोखों से तुलसीपुर ” कई दृष्टियों से एक बेहतरीन पुस्तक है | चल रही रिवायत से परे इस पुस्तक में कोई विषय-सूची नहीं पाई जाती ! शाहरुख़ साहिल तुलसीपुरी Read more…

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अवतारवाद की अवधारणा

इस समय देश में धर्म पर बात करना जोखिम भरा काम है। अध्यात्म की बातें करना उस समय और भी दुरूह हो जाता है जब सहमति – असहमति के बीच हो रही हो। धर्म अनपढ़ अथवा कम पढ़े – लिखे लोगों के दरम्यान अंधविश्वासों के बीच झूल रहा है, तो Read more…

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नाग संस्कृति संसार के आश्चर्यों में शुमार !

आस्था प्रकाशन, जालंधर से प्रकाशित अंग्रेज़ी पुस्तक ” Shri Vasuki Nag and Nag Cultire ” पिछले दिनों हस्तगत हुई | 112 पृष्ठीय इस पुस्तक के लेखक हैं – धर्मकांत डोगरा और चंद्रकांत शर्मा | इसमें आठ अध्याय हैं, जो सभी प्रासंगिक और विषयानुकूल हैं | पहले में परिचय है, जिसमें Read more…

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प्रेम बादल नहीं, आकाश लगता है 

” प्रेम बादल नहीं, आकाश लगता है ” – यह पंक्ति है, हिंदी के लब्धप्रतिष्ठ कवि मोहन सपरा की, जिसको उन्होंने ” रंगों में रंग  … प्रेम रंग ” में समाविष्ट किया है | ऐसा उन्होंने क्यों लिखा ? इसलिए कि वे प्रेम भरे जीवनरूपी रंग में गहरे उतरे हैं Read more…

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” छठिया ” की दस्तक कथा-जगत की बड़ी उपलब्धि 

कोई कितना भी इन्कार करे, लेकिन इस सत्य पर परदा डालना असंभव है कि भारत कहानी का जन्मदाता है | इस देश से ही कहानियों का आग़ाज़ हुआ, जो आगे चलकर लिपिबद्ध हुआ | यह बात दीगर है कि इस तथ्य पर आधुनिक दौर में भी मतभेद है कि कहानी Read more…

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” अब हुई न बात ” जो पहले कभी न हुई

हिंदी में लघुकथाकार के रूप में प्रतिष्ठित डॉ. जवाहर धीर का लघुकथा संग्रह ” अब हुई न बात ” पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ | डॉ. धीर पिछले कई दशकों से लेखन में सक्रिय हैं | इनकी कई रचनाएँ ख़ासकर लघुकथाओं को कई स्थापित पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ चुका हूँ, जो Read more…

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सुघड़ शब्दों की साधना है ” उम्मीद की हथेलियाँ ” 

सुघड़ शब्दों की साधना है ” उम्मीद की हथेलियाँ “ ……. फगवाड़ा के प्रखर कवि दिलीप कुमार पांडेय की ” उम्मीद की लौ ” अभी कुछ दिनों पहले मेरे पढ़ने में आई थी, जिस पर मैंने अपनी सहज ही विचाराभिव्यक्ति प्रकट की थी और बेसाख़्ता सोच बैठा था कि कविता Read more…

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” शब्द – शब्द ” पर एक नई दृष्टि

पुस्तक -*शब्द-शब्द* विधा – कविता लेखक – रामपाल श्रीवास्तव ‘अनथक’ समदर्शी प्रकाशन,साहिबाबाद,ग़ाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश प्रकाशन वर्ष -2023 पेपर बैक संस्करण, पृष्ठ संख्या -147 मूल्य -200 ₹ * पत्रकार रामपाल श्रीवास्तव ‘अनथक’ की कविताएँ * ————————————————————— 23 सितंबर 1962 को बलरामपुर जनपद के गाँव मैनडीह में एक शिक्षित किसान परिवार में Read more…

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कविताओं की बहार का केंद्र ” रक्तबीज आदमी है “

हिंदी के लब्ध प्रतिष्ठ कवि मोहन सपरा का काव्य – संग्रह ” रक्तबीज आदमी है ” पढ़ने का सुअवसर प्राप्त हुआ | इसमें 28 बीज कविताएं हैं | वास्तव में ये सभी कविताएं हिंदी कविता में प्रयोगवादी धरातल फ़राहम करती हैं और ” तार सप्तक ” व ” प्रतीक ” Read more…

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जीवन के विविध पक्षों पर बतियाती कविताएं

” शब्द-शब्द ” (काव्य संग्रह) प्रकाशक- समदर्शी प्रकाशन रचनाकार–रामपाल श्रीवास्तव ‘अनथक ‘ रामपाल श्रीवास्तव लंबे अर्से से पत्रकारिता के क्षेत्र में जुड़े रहे हैं।उनका व्यापक अध्ययन चाहे इतिहास से संबंधित हो या राजनीति से, भारतीय संस्कृति -परंपरा से हो,या फिर किसी भाषा से संबद्ध, उनके अनुभवों का यह विशाल दस्तावेज, Read more…

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संघर्षों में जीवन रस की तलाश है ” सोख़्ता “

अनुभूतियों और संवेदनाओं के कुशल व ख़ूबसूरत चितेरे, हिन्दी के प्रतिष्ठित रचनाकार अख़लाक़ अहमद ज़ई का उपन्यास ” सोख़्ता ” कमाल का है | इसे लघु उपन्यास कहना बेमानी है | इसमें उपन्यास के सभी गुण मौजूद हैं , जो इसे प्रौढ़ता और दीर्घता की ओर ले जाते हैं | Read more…

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” जित देखूँ तित लाल ” – एक गंभीर वैचारिक स्वर

पुस्तक :जित देखूं तित लाल द्वारा : राम पाल श्रीवास्तव प्रकाशन: शुभदा बुक्स शीर्षक समीक्षा का शाब्दिक अर्थ है सम्यक् परीक्षा, अन्वेषण । पुस्तक समीक्षा में किसी पुस्तक की सम्यक् परीक्षा और विश्लेषण किया जाता है। इस परीक्षा और विश्लेषण से पाठक को पुस्तक विशेष के विभिन्न पहलुओं की जानकारी Read more…