खासमखास

” जित देखूँ तित लाल ” – 21 पुस्तकों की तथ्यपरक समीक्षा 

आज जब पुस्तकों की समीक्षाएं प्रायोजित होने लगी हैं। पत्र-पत्रिकाएँ पैसे लेकर पुस्तकों पर समीक्षाएं करने/कराने लगी हैं, ऐसे में जित देखूँ तित लाल का प्रकाशन सुखद ही कहा जा सकता है। इस पुस्तक में इक्कीस पुस्तकों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं लेखक ने। रामपाल श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार हैं, Read more…

खासमखास

 ” तमाशाई ” उपन्यास जगत की बड़ी उपलब्धि 

” तमाशाई ” दरअसल व्यंग्यात्मक उपन्यास है | दीर्घकाय न हुआ , तो क्या हुआ दमदार है | 98 पृष्ठीय इस उपन्यास को छोटे – छोटे कथानकों का मजमूआ भी कह सकते हैं , जिनकी अदायगी जमूरा और मदारी [ उस्ताद ] करते रहते हैं | संवाद इतने प्रभावकारी और Read more…

खासमखास

” शब्द – शब्द ” का रेशा – रेशा भेदने में सफलता 

राम पाल श्रीवास्तव जी का “शब्द-शब्द” काव्य संग्रह जैसे ही खोला तो पाया कवि ने सबसे पहले तो देश के विभिन्न प्रांतों के कवियों की खूबसूरत कविताओं के साथ और उनकी भरपूर जानकारी के साथ एक कोलाज बना दिया है। पहला शब्द आपको अपने मोहपाश में बांध लेता है। फिर Read more…

खासमखास

” नीरज बख़्शी की बतकहियाँ ” – व्यक्तित्व और कृतित्व का आईना  

” नीरज बख़्शी की बतकहियाँ ” पढ़कर भाई नीरज जी की याद बड़ी शिद्द्त के साथ आई | उनका पत्रकारिता से लगाव और जुड़ाव भी था | कवि थे ही | जब मैं तुलसीपुर होकर अपने गांव मैनडीह जाता , तो तुलसीपुर में उनसे अक्सर व बेशतर ही मुलाक़ात हो Read more…

खासमखास

” शब्द – शब्द ” – एक गंभीर वैचारिक काव्य – आंदोलन 

पुस्तक: शब्द-शब्द द्वारा : राम पाल श्रीवास्तव ” अनथक “ प्रकाशन: समदर्शी प्रकाशन “मेरी कविता आयास रचित नहीं अनुभूत होती है दुःख सुख ,वेदना ,और संवेदना की प्रसूत होती है” उक्त पंक्तियों से अपनी पुस्तक “शब्द-शब्द” का आरम्भ करने वाले, राम पाल श्रीवास्तव जी, साहित्य की विविध विधाओं में अपने Read more…

खासमखास

” उम्मीद की लौ ” – जीवन के चटक रंगों से सराबोर 

” उम्मीद की लौ ” मुझे काफ़ी समय पहले ही प्राप्त हो गई थी , लेकिन कुछ अपरिहार्य व्यस्तता के चलते इसे ठीक से न पढ़ सका और न ही इस बाबत सोच से बढ़कर कुछ अमली कोशिश ही कर सका | इधर के दिनों में इसको पढ़ लिया है Read more…

खासमखास

जो शेष बचेगा !

मैं ‘तुम ‘ हो और तुम ‘ मैं ‘ मैं शरीर, तुम आत्मा बस, यहाँ से जाने के बाद क्या होगा ? मुझे बताकर जाना मैं जानता हूँ कि किसी को पता नहीं फिर भी तुम कुछ न कुछ ज़रूर हो और मैं भी ! जब मेरा मन-मस्तिष्क दूर हो Read more…

खासमखास

शिवपुरा क्षेत्र के अधिकतर डाकघरों में साल भर से न रजिस्ट्री, न ही पैसों का लेनदेन, काम ठप

शिवपुरा ( बलरामपुर ) । क्षेत्र की पूरी डाक व्यवस्था पिछले एक साल से अधिक समय से एक तरह से ठप और पंगु बनी हुई है। डाक सूत्रों के अनुसार, शिवपुरा को छोड़कर कहीं से भी रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट, बैंक खातों में लेनदेन और नए खाते खोलने, नई स्कीमों में Read more…

खासमखास

राम – प्रेम

हमारा राम – प्रेम अगाध प्रेम भक्ति हमारी शक्ति हमारी आसक्ति हमारी आप आदर्श हैं मर्यादा पुरुषोत्तम हैं करते हैं संहार असत का मिथ्या का तभी तो हुआ रावण – वध आपके कर – कमलों से आप ही का हम अनुसरण किए जाते हैं – मेघनाथ कुंभकर्ण और रावण का Read more…

खासमखास

वो तो मेरा नहीं !

वे चकित होकर बोलीं – ” वो तो मेरा नहीं मैंने तो जमा किए थे सिर्फ़ पांच सौ रुपए और आप कहते हैं छह सौ दस लो।” बैंक का क्लर्क हुआ परेशान शायद उसने नहीं देखा था ऐसा इन्सान कहने लगा – ” मां जी, ये एक सौ दस रुपए Read more…

खासमखास

मेरा अस्तित्व

मेरा अस्तित्व……..……… आज साठ पूरा करने के क़रीब पहुंचकर देखा अपने अस्तित्व को अपने आपको अपने में खोकर। अख़बार के मानिंद तुड़े – मुड़े अपने अस्तित्व को जिसके पीछे पड़ा रहा दिनभर शाम के ढलते दियारे को लेकर अब कहां फुरसत कि अपने पन्ने को सीधा करूं ? पढूं, वह Read more…

खबरनामा

अशफ़ाक़ुल्लाह खां, जिन्होंने शहादत का जाम हंस के पिया

ज़बाने हाल से अशफ़ाक की तुर्बत ये कहती है, मुहिब्बाने वतन ने क्यों हमें दिल से भुलाया है? बहुत अफ़सोस होता है बड़ी तकलीफ़ होती है, शहीद अशफ़ाक की तुर्बत है और धूपों का साया है। शहीद अशफ़ाक उल्लाह खां ने अपनी इस रचना के द्वारा अपनी शहादत का ऐलान Read more…

खासमखास

खुशक़िस्मत दुलरू

ये हैं दुलरू … अब साढ़े तीन साल के हो गए हैं। अब रह रहे हैं भारत – नेपाल सीमा के पास हिमालय की शैवालिक पर्वत मालाओं के लगभग अथ स्थान पर , उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में खैरमान डैम के पास। इनकी दास्तान बड़ी हृदय विदारक है! लेकिन हैं Read more…

खासमखास

कितना सार्थक सुरंजन का सुचिंतन ?

भाई डॉक्टर राम शरण गौड़ अग्रणी लेखक होने के साथ व्यवहार – कुशलता के भी अग्रदूत सदृश हैं। वे जब हिंदी अकादमी दिल्ली के सचिव थे , मुझे अकादमी के आयोजनों में याद किया करते थे। साथ ही स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले में आयोजित होनेवाले कवि सम्मेलन Read more…

खासमखास

हिंदी – हमारी मातृभाषा/ राष्ट्रभाषा 

राष्ट्रभाषा हिंदी का रह – रहकर पीड़ा की तरह विरोध बेहद चिंतनीय और निंदनीय है | हिंदी को रोमन लिपि में लिखना अनुचित है ? वास्तव में हिंदी भाषा और इसकी देवनागरी लिपि का कोई जवाब नहीं ! ऐसी निहायत उम्दा लिपि और भाषा दूसरी नहीं , जो पूरे भारत Read more…