खासमखास

” अब हुई न बात ” जो पहले कभी न हुई

हिंदी में लघुकथाकार के रूप में प्रतिष्ठित डॉ. जवाहर धीर का लघुकथा संग्रह ” अब हुई न बात ” पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ | डॉ. धीर पिछले कई दशकों से लेखन में सक्रिय हैं | इनकी कई रचनाएँ ख़ासकर लघुकथाओं को कई स्थापित पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ चुका हूँ, जो Read more…

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सुघड़ शब्दों की साधना है ” उम्मीद की हथेलियाँ ” 

सुघड़ शब्दों की साधना है ” उम्मीद की हथेलियाँ “ ……. फगवाड़ा के प्रखर कवि दिलीप कुमार पांडेय की ” उम्मीद की लौ ” अभी कुछ दिनों पहले मेरे पढ़ने में आई थी, जिस पर मैंने अपनी सहज ही विचाराभिव्यक्ति प्रकट की थी और बेसाख़्ता सोच बैठा था कि कविता Read more…

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” शब्द – शब्द ” पर एक नई दृष्टि

पुस्तक -*शब्द-शब्द* विधा – कविता लेखक – रामपाल श्रीवास्तव ‘अनथक’ समदर्शी प्रकाशन,साहिबाबाद,ग़ाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश प्रकाशन वर्ष -2023 पेपर बैक संस्करण, पृष्ठ संख्या -147 मूल्य -200 ₹ * पत्रकार रामपाल श्रीवास्तव ‘अनथक’ की कविताएँ * ————————————————————— 23 सितंबर 1962 को बलरामपुर जनपद के गाँव मैनडीह में एक शिक्षित किसान परिवार में Read more…

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कविताओं की बहार का केंद्र ” रक्तबीज आदमी है “

हिंदी के लब्ध प्रतिष्ठ कवि मोहन सपरा का काव्य – संग्रह ” रक्तबीज आदमी है ” पढ़ने का सुअवसर प्राप्त हुआ | इसमें 28 बीज कविताएं हैं | वास्तव में ये सभी कविताएं हिंदी कविता में प्रयोगवादी धरातल फ़राहम करती हैं और ” तार सप्तक ” व ” प्रतीक ” Read more…

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जीवन के विविध पक्षों पर बतियाती कविताएं

” शब्द-शब्द ” (काव्य संग्रह) प्रकाशक- समदर्शी प्रकाशन रचनाकार–रामपाल श्रीवास्तव ‘अनथक ‘ रामपाल श्रीवास्तव लंबे अर्से से पत्रकारिता के क्षेत्र में जुड़े रहे हैं।उनका व्यापक अध्ययन चाहे इतिहास से संबंधित हो या राजनीति से, भारतीय संस्कृति -परंपरा से हो,या फिर किसी भाषा से संबद्ध, उनके अनुभवों का यह विशाल दस्तावेज, Read more…

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संघर्षों में जीवन रस की तलाश है ” सोख़्ता “

अनुभूतियों और संवेदनाओं के कुशल व ख़ूबसूरत चितेरे, हिन्दी के प्रतिष्ठित रचनाकार अख़लाक़ अहमद ज़ई का उपन्यास ” सोख़्ता ” कमाल का है | इसे लघु उपन्यास कहना बेमानी है | इसमें उपन्यास के सभी गुण मौजूद हैं , जो इसे प्रौढ़ता और दीर्घता की ओर ले जाते हैं | Read more…

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” जित देखूँ तित लाल ” – एक गंभीर वैचारिक स्वर

पुस्तक :जित देखूं तित लाल द्वारा : राम पाल श्रीवास्तव प्रकाशन: शुभदा बुक्स शीर्षक समीक्षा का शाब्दिक अर्थ है सम्यक् परीक्षा, अन्वेषण । पुस्तक समीक्षा में किसी पुस्तक की सम्यक् परीक्षा और विश्लेषण किया जाता है। इस परीक्षा और विश्लेषण से पाठक को पुस्तक विशेष के विभिन्न पहलुओं की जानकारी Read more…

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” जित देखूँ तित लाल ” – 21 पुस्तकों की तथ्यपरक समीक्षा 

आज जब पुस्तकों की समीक्षाएं प्रायोजित होने लगी हैं। पत्र-पत्रिकाएँ पैसे लेकर पुस्तकों पर समीक्षाएं करने/कराने लगी हैं, ऐसे में जित देखूँ तित लाल का प्रकाशन सुखद ही कहा जा सकता है। इस पुस्तक में इक्कीस पुस्तकों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं लेखक ने। रामपाल श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार हैं, Read more…

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 ” तमाशाई ” उपन्यास जगत की बड़ी उपलब्धि 

” तमाशाई ” दरअसल व्यंग्यात्मक उपन्यास है | दीर्घकाय न हुआ , तो क्या हुआ दमदार है | 98 पृष्ठीय इस उपन्यास को छोटे – छोटे कथानकों का मजमूआ भी कह सकते हैं , जिनकी अदायगी जमूरा और मदारी [ उस्ताद ] करते रहते हैं | संवाद इतने प्रभावकारी और Read more…

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” शब्द – शब्द ” का रेशा – रेशा भेदने में सफलता 

राम पाल श्रीवास्तव जी का “शब्द-शब्द” काव्य संग्रह जैसे ही खोला तो पाया कवि ने सबसे पहले तो देश के विभिन्न प्रांतों के कवियों की खूबसूरत कविताओं के साथ और उनकी भरपूर जानकारी के साथ एक कोलाज बना दिया है। पहला शब्द आपको अपने मोहपाश में बांध लेता है। फिर Read more…

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” नीरज बख़्शी की बतकहियाँ ” – व्यक्तित्व और कृतित्व का आईना  

” नीरज बख़्शी की बतकहियाँ ” पढ़कर भाई नीरज जी की याद बड़ी शिद्द्त के साथ आई | उनका पत्रकारिता से लगाव और जुड़ाव भी था | कवि थे ही | जब मैं तुलसीपुर होकर अपने गांव मैनडीह जाता , तो तुलसीपुर में उनसे अक्सर व बेशतर ही मुलाक़ात हो Read more…

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” शब्द – शब्द ” – एक गंभीर वैचारिक काव्य – आंदोलन 

पुस्तक: शब्द-शब्द द्वारा : राम पाल श्रीवास्तव ” अनथक “ प्रकाशन: समदर्शी प्रकाशन “मेरी कविता आयास रचित नहीं अनुभूत होती है दुःख सुख ,वेदना ,और संवेदना की प्रसूत होती है” उक्त पंक्तियों से अपनी पुस्तक “शब्द-शब्द” का आरम्भ करने वाले, राम पाल श्रीवास्तव जी, साहित्य की विविध विधाओं में अपने Read more…

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” उम्मीद की लौ ” – जीवन के चटक रंगों से सराबोर 

” उम्मीद की लौ ” मुझे काफ़ी समय पहले ही प्राप्त हो गई थी , लेकिन कुछ अपरिहार्य व्यस्तता के चलते इसे ठीक से न पढ़ सका और न ही इस बाबत सोच से बढ़कर कुछ अमली कोशिश ही कर सका | इधर के दिनों में इसको पढ़ लिया है Read more…

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जो शेष बचेगा !

मैं ‘तुम ‘ हो और तुम ‘ मैं ‘ मैं शरीर, तुम आत्मा बस, यहाँ से जाने के बाद क्या होगा ? मुझे बताकर जाना मैं जानता हूँ कि किसी को पता नहीं फिर भी तुम कुछ न कुछ ज़रूर हो और मैं भी ! जब मेरा मन-मस्तिष्क दूर हो Read more…

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शिवपुरा क्षेत्र के अधिकतर डाकघरों में साल भर से न रजिस्ट्री, न ही पैसों का लेनदेन, काम ठप

शिवपुरा ( बलरामपुर ) । क्षेत्र की पूरी डाक व्यवस्था पिछले एक साल से अधिक समय से एक तरह से ठप और पंगु बनी हुई है। डाक सूत्रों के अनुसार, शिवपुरा को छोड़कर कहीं से भी रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट, बैंक खातों में लेनदेन और नए खाते खोलने, नई स्कीमों में Read more…