खासमखास

भविष्य पुराण के सामने बौनी हैं नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियाँ !

डॉ. माइकेल नास्त्रेदमस [ Nostradamus ] के बारे में मैंने बहुत सुना था कि लगभग पांच दशक पहले के फ्रांसीसी डॉक्टर एवं शिक्षक थे | यह बहुप्रचारित है कि वह विश्व का महान भविष्यवक्ता था, लेकिन यह बात भी उतनी ही सच है कि उसके सिलसिले में अतिशयोक्तियों का भी ताँता है, जो Read more…

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अब बिहार में कमल को खिलना ही है !

बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान का वक़्त आ चुका है | सभी ‘सियासी मदारी’ अपने करतब के साथ तैयार थे और अभी भी तैयार हैं | अलबत्ता अब प्रहसन के दूसरे दौर की भूमिका में मंचन करना शेष है | यह भूमिका लोकतंत्र के सीधे मुक़ाबिल में है, Read more…

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लोकतंत्र की रक्षा के लिए विरोध का रास्ता छोड़ना होगा – डॉ. अंबेडकर

डॉ. अंबेडकर ने लोकतंत्र के रक्षार्थ कुछ चेतावनी दी थी | सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति में संविधान प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग आवश्यक ठहराने के साथ – साथ उन्होंने कहा था कि ‘इसका मतलब है कि हमें खूनी क्रांतियों का तरीक़ा छोड़ना होगा, अवज्ञा का रास्ता छोड़ना होगा, असहयोग और सत्याग्रह का रास्ता Read more…

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सच्चे रामभक्त के के के नायर

केरलवासी के के के नायर आख़िर सच्चे राम भक्त कैसे बने ? इसकी एक कहानी है | आई सी एस अधिकारी अगस्त 1946 में गोंडा की ज़िम्मेदारी संभालने के लिए भेजे गए | वे वहां के डी एम थे | नायर टेनिस खेलने के शौक़ीन थे | इसी शौक़ ने Read more…

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कितना आर्थिक सुधार ?

मोदी सरकार की आर्थिक सुधारों के प्रति प्रतिबद्धता अब सबके सामने है | मुद्रास्फीति का नियंत्रण हो या निवेश – वातावरण में सुधार हो या आम परिवारों पर पडऩे वाले वित्तीय बोझ को कम करने एवं सकल घरेलू बचत को प्रोत्साहित करने की बात, इन सभी मोर्चों पर मोदी सरकार Read more…

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चालीस साल बाद का भारत

[ भारतीय संवाद डेस्क ] अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि चालीस साल बाद भारत सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा। 2060 में भारत की मुस्लिम आबादी 33 करोड़ हो जाएगी, जो वर्तमान में अभी 19.4 करोड़ है। यानी दुनिया Read more…

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पत्रकारों का दमन बनाम लोकतंत्र की मौत  

दुनिया भर में पत्रकारों पर हमले बढ़े हैं | सबसे दुखद तथ्य यह भी है कि पिछले दस सालों में पत्रकार – हत्या का एक भी मामला सॉल्व नहीं किया गया ! सरकार चाहे किसी भी देश की हो,सभी ने एक जैसा रवैया अपनाया है, जबकि सच्चाई यह है कि प्रेस किसी भी लोकतांत्रिक सरकार का अभिन्न हिस्सा हैं | यह भी सच है कि लोकतंत्र की जो व्यवस्थाएं होती हैं, उनमें प्रेस – मीडिया को चौथे यानी आख़िरी पायदान पर है, जहाँ से उसका गिरना संभव – सा रहता है | वैसे तो लोकतंत्र की इस आख़िरी व्यवस्था का काम अन्य व्यवस्थाओं को ” लोक ”[ जनता ] की ओर से निगरानी करना है, लेकिन यह भी तथ्य है कि इसके नैमित्तिक उद्देश्य और मिशन समय – समय सामने आते रहे हैं | जैसे देश की आज़ादी से पूर्व मीडिया का एकमात्र उद्देश्य देश को आज़ाद कराना था | मगर हमारे देश में आज़ादी के बाद मीडिया का एक उद्देश्य यह नहीं रहा कि देश की तरक़्क़ी के लिए ही अपनी धार तेज़ रखे | समय के फैलाव के साथ मीडिया पूंजीपतियों का हितसाधक अधिक और जनता की पैरवीकार कम होती चली गई | इसका व्यवसायीकरण बढ़ा और आहिस्ता – आहिस्ता पत्रकार भी कुंठा के शिकार होते चले गए, उनका बचा – खुचा मिशन और उदात्त भाव जाता रहा | आज स्थिति यह है कि पत्रकार का अपना कुछ भी नहीं रहा ! उनकी लेखनी ग़ुलाम है मीडिया संस्थानों के मालिकों की ! आज तो और भी बुरा ट्रेंड चल पड़ा है | कुछ ख़ास राजनीतिक दलों ने पत्रकारों के बाद परोक्ष रूप से मीडिया संस्थानों को खरीदना शुरू किया है, जिनसे अपने हितार्थ काम करवाते हैं | इस ख़राब स्थिति में भी कुछ ऐसे पत्रकार और मीडियाकर्मी ऐसे हैं, जो अपने बलबूते पत्रकारिता की गरिमा क़ायम रखने की कोशिश करते हैं और इस कोशिश में विरोधी ताक़तों का कोपभाजन बनते हैं | आज समाज में क़ानून को हाथ में लेने का जो रुझान बढ़ा है, उसके चलते भी पत्रकारों की असुरक्षा बढ़ी है और वे दमन के शिकार हुए हैं | इस दौर में क़ानून को लागू करवाने की ज़िम्मेदारी लेनेवालीं पुलिस ख़ुद क़ानून को हाथ में लिए खड़ी नज़र आती है ! आजकल पत्रकारों पर बढ़ते हमलों की ख़बरें उत्तर प्रदेश में अधिक गूंज रही हैं | लोकसभा में पिछले दिनों पेश राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में यह बात नुमाया है कि उत्तर प्रदेश पत्रकारों की सुरक्षा के मामले में सबसे निचले पायदान पर है | वहां 2013 से लेकर अब तक सात पत्रकारों की हत्याएँ की जा चुकी हैं | इस राज्य में इस अवधि में पत्रकारों पर हमले के 67 मामले दर्ज हुए, जबकि दूसरे नंबर पर पचास मामलों के साथ मध्य प्रदेश और 22 मामलों के साथ बिहार तीसरे स्थान पर रहा | इस दौरान पूरे देश में पत्रकारों पर हमले के 190 मामले दर्ज किए गए | उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के कार्यकाल में पत्रकारों पर सर्वाधिक हमले हुए | Read more…

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पश्चिम बंगाल मे बेलगाम होती ख़ूनी हिंसा के पीछे कौन ?

महात्मा गांधी ने इस देश में लोकतंत्र की स्थापना करते समय अहिंसा परमो धर्मः एवं धर्मनिरपेक्ष सुशासन का नारा देकर राजनीति को सेवा भाव से जोड़ दिया था। राजतंत्र में भले ही राजा के पास सर्वाधिकार सुरक्षित रहता रहा हो लेकिन प्रजातंत्र में प्रजा द्वारा चुनी गई सरकारों के पास Read more…

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राफेल को बोफोर्स बनाने की कोशिश

राफ़ेल के दस्तावेज़ों के ग़ायब होने को लेकर केंद्र सरकार बुरी तरह फँस गई है | आरोप यहां तक लगाए जा रहे हैं कि जब सरकार रक्षा मंत्रालय के दस्तावेज़ों की सुरक्षा नहीं कर सकती, तो देश की सुरक्षा कैसे करेगी ? दस्तावेज़ों के ग़ायब होने को दाल में कुछ Read more…

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न लोकपाल, न काला धन !

लोकपाल और लोकायुक्तों की नियुक्ति एवं किसानों की समस्याओं को लेकर इस बार अन्ना हज़ारे अपना अनशन अधिक दिनों तक नहीं चला पाए | वैसे लोकपाल की नियुक्ति का उनका आंदोलन अब तक एक तरह से विफल रहा है | हर बार वे मंत्रियों के भुलावे और वाकपटुता के शिकार Read more…

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ऐसे डूबी थी कांग्रेस !

” कांग्रेस को डुबाने का एक और नुस्ख़ा ” शीर्षक से मैंने 21 जनवरी 2014 को जो संपादकीय लिखा था, उसे जब भी पढ़ता हूँ, तो यही लगता है कि हमने पुराने अनुभवों से कुछ भी नहीं सीखा !!!??? लीजिए पढ़िए वह अग्रलेख – रोज़मर्रा इस्तेमाल की चीज़ों के बढ़ते Read more…

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सरकारें हैं या मौत की सौदागर ?

आजकल बढ़ती बीमारियों और बढ़ते अपराध के पीछे शराब का बढ़ता सेवन है | बलात्कार की जितनी घटनाएं घट रही है हैं , उनके मूल कारणों में एक बड़ा कारण शराब का सेवन है . वास्तव में शराब बीमारियों की जननी है । मेडिकल साइंस ने इधर जाकर इसकी पुष्टि की Read more…

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 बजट की पीयूष – वर्षा 

नई सरकार आगामी जुलाई में आम बजट पेश करेगी , लेकिन सीमित अवधि के लिए पेश किए गए परंपरागत अंतरिम बजट में मध्यम वर्ग और किसानों को बड़ी राहत दी गई | इसे पूरी तरह चुनावी बजट कहा जा सकता है | किसानो की आय वृद्धि का दावा करते हुए कार्यवाहक वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना Read more…

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राम मंदिर पर सरकार की सराहनीय पहल

केंद्र सरकार ने मंदिर – मस्जिद प्रकरण पर जो नई पहल की है, वह कितनी कारगर होगी ? इस पर बड़ा सवालिया निशान है , लेकिन यह पहल ज़रूर सराहनीय है | सरकार ने अपने को एक पक्षकार की भांति पेश करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी देकर करके अपील Read more…

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ई वी एम ख़ुलासा- हम्माम में सभी नंगे  

एक अमेरिकन साइबर एक्सपर्ट ने, जो भारतीय मूल का है, ई वी एम मशीनों को टैम्पर करने का कथित ख़ुलासा करके देश की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों को निशाने पर ले लिया है | इस एक्सपर्ट द्वारा ई वी एम मशीनों के साथ छेड़छाड़ के दावों के बीच देश में Read more…