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 बजट की पीयूष – वर्षा 

नई सरकार आगामी जुलाई में आम बजट पेश करेगी , लेकिन सीमित अवधि के लिए पेश किए गए परंपरागत अंतरिम बजट में मध्यम वर्ग और किसानों को बड़ी राहत दी गई | इसे पूरी तरह चुनावी बजट कहा जा सकता है | किसानो की आय वृद्धि का दावा करते हुए कार्यवाहक वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना Read more…

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राम मंदिर पर सरकार की सराहनीय पहल

केंद्र सरकार ने मंदिर – मस्जिद प्रकरण पर जो नई पहल की है, वह कितनी कारगर होगी ? इस पर बड़ा सवालिया निशान है , लेकिन यह पहल ज़रूर सराहनीय है | सरकार ने अपने को एक पक्षकार की भांति पेश करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी देकर करके अपील Read more…

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ई वी एम ख़ुलासा- हम्माम में सभी नंगे  

एक अमेरिकन साइबर एक्सपर्ट ने, जो भारतीय मूल का है, ई वी एम मशीनों को टैम्पर करने का कथित ख़ुलासा करके देश की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों को निशाने पर ले लिया है | इस एक्सपर्ट द्वारा ई वी एम मशीनों के साथ छेड़छाड़ के दावों के बीच देश में Read more…

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भाजपा को नए रास्ते बनाने होंगे

जबसे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा की कमजोर स्थिति सामने आयी है, एक शीर्ष वर्ग पार्टी के भीतर थोड़ा ठहरकर अपने बीते दिनों के आकलन और आने वाले दिनों के लिये नये धरातल को तैयार करने की वकालत करने लगा है। इन पांच राज्यों के चुनाव के परिणाम Read more…

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हमारा देश यूँ ही महान नहीं है !

मैं नहीं जानता दिल जलता है मेरा कि जिगर, धुआँ उठता है कहीं आग लगी है शायद | – मीर हमारा देश यूँ ही महान नहीं है | यह अपनी विशिष्टताओं के कारण महान है | यहाँ की गंगा – जमुनी संस्कृति बड़ी समृद्ध है … कटुता के इस काल Read more…

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‘ बेटी पढाओ, बेटी बचाओ ‘ अभियान के बावजूद बढ़ रही दहेज हत्याएं

दहेज प्रथा पूरे समाज के लिए एक अभिशाप है | इसके कारण न जाने कितनी मासूम बहन – बेटियाँ को अपनी जान गंवानी पड़ रही है , लेकिन यह सच है कि इस समस्या पर कोई सार्थक चर्चा तक भी नहीं हो पाती ! सभी जानते हैं कि यह कुप्रथा Read more…

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चौतरफ़ा समस्याओं में घिरा देश  

हमारा देश चौतरफ़ा समस्याओं से घिरा हुआ है | गरीबी , बेरोज़गारी , महंगाई, भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं ने आम आदमी की मुश्किलें बहुत बढ़ा दी हैं | आख़िर इन समस्याओं का मूल कारण क्या है ? इन्सान की विकृत मानसिकता , नैतिक पतन के साथ ही पूंजीवाद और पूंजीवादी स्वार्थपरक Read more…

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कारीडोर में सस्ती लोकप्रियता का परचम !

     आजकल राजनीति में सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए लीक से हटकर कार्य करने और तीखे बेमतलबी बयान देकर फंसता देखकर पलट जाने का जैसे एक रिवाज बनता जा रहा है। राजनीति का स्तर इतना घटिया हो गया है कि लोग मीडिया की सुर्खियों में बने रहने के Read more…

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पोर्न साइटें बिगाड़ रही हैं नई पीढ़ी को, रोक दरकार   

यह सभ्यता, देश और समाज हितैषियों के लिए दिल को सकून पहुँचाने वाली खबर ज़रूर है कि इंटरनेट पर बढ़ती अश्लीलता के खिलाफ़ देश के दूर संचार विभाग ने इंटरनेट सेवा मुहैया कराने वाले सभी आपरेटरों को पिछले दिनों निर्देश दिया है कि वे 827 पोर्न साइटों को ब्लाक कर Read more…

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अयोध्या कूच के राजनैतिक परिणाम संभव 

इस लोकतांत्रिक देश का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि यहाँ पर करीब पिछले पांच दशकों से राजनीति वसूलों सिद्धांतों विचारों नीतियों पर आधरित न होकर जाति धर्म सम्प्रदाय पर आधारित होती जा रही है जबकि राजनीति लोकहित में नेक नियती से लोक हिताय एवं लोक सुखाय होनी चाहिए।राजनीति धर्म सम्प्रदाय Read more…

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ग़रीबी के ग्रामर को समझना है ज़रूरी  

क्या भारतीय समाज में अब भ्रष्टाचार इतना रच – बस गया है कि इसके ख़िलाफ़ उठनेवाली आवाज़ें बहुत धीमी पड़ गई हैं ? अब शायद ही कोई राजनीतिक दल भ्रष्टाचार के खिलाफ़ संजीदा कोशिशें कर रहा है | जिस देश में ग़रीबी का ग्राफ़ लगातार बढ़ रहा हो,भुखमरी और आत्महत्या Read more…

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सीबीआई की गरिमा को धुंधला न पड़ने दें 

 सीबीआई समय-समय पर विवादों के घेरे में आती रही है। यह भी कहा जा सकता है कि जब-जब सीबीआई पर राजनीतिक दबाव पड़ा, तब-तब उसकी कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगे। सीबीआई को लेकर इन दिनों देश में जो हो रहा है, वह चिंताजनक तो है ही, हास्यस्पद भी है और दुर्भाग्यपूर्ण Read more…

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क्या पिंजरे में ही ‘तोता’ मर जाएगा ?

क्या देश के सभी विभाग भ्रष्ट हैं ? इस सवाल का सही – सपाट जवाब देने में भले ही हमें कुछ हिचकिचाहट हो, लेकिन यह ज़रूर कह सकते हैं कि जिस सी बी आई पर देशवासियों का अटूट भरोसा रहा है, वह अब बड़े शक के दायरे में है ! Read more…

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नेताजी न होते तो देश की आज़ादी ……..

सभी जानते हैं कि इस देश से अंग्रेजी सरकार को भगाने में महात्मा गांधी के अहिंसात्मक आंदोलन से अधिक अहम भूमिका नेताजी सुभाषचंद्र बोस और उनकी आजाद हिन्द फौज की थी। बरतानिया सरकार कांग्रेस के धरना प्रदर्शन आंदोलन से उतनी भयभीत नहीं थी जितना नेताजी की फौज से थी। आजादी Read more…

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पत्रकारिता शर्मसार, अकबर होशियार ! 

इतिहास गवाह है कि जब – जब इस धरती पर नारी को भोग्या बनाने का प्रयास हुआ है, तब – तब महाभारत जैसा महायुद्ध एवं महाविनाश हुआ है,वह चाहे सीताजी को लेकर राम – रावण के बीच हुआ हो, चाहे द्रोपदी को कौरवों एवं पाण्डवों के बीच हुआ हो या Read more…