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बढ़ती महंगाई का सवाल जनसंख्या वृद्धि से जुड़ा है

महंगाई पर बहुत हो – हल्ला मचता है | सरकार को घेरने की कोशिश की जाती है | लेकिन इसके मौलिक कारणों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है | बढ़ती महंगाई के बहुत से कारण हो सकते हैं और हैं भी | मगर इन सब कारणों में एक बड़ा कारण बढ़ती Read more…

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अपराधी राजनीति का मैदान छोड़ें , मतदाता इन्हें वोट न देकर ‘ इनकाउंटर ‘ करें

चलिए मान लेते हैं कि देश की आज़ादी के बाद पिछले 70 वर्षों में भारतीय लोकतंत्र कुछ मजबूत हुआ है, लेकिन राजनीति का अपराधीकरण भी बढ़ा है , जो लोकतंत्र के लिए यक़ीनन घातक और हानिकारक है | राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपराधी और घोर सांप्रदायिक तत्वों की सहायता लेना तो Read more…

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आखिर क्या है मृत्यु के बाद ?

– OUR FEATURE DESK PRESENTATION क्या है मृत्यु के बाद? एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब आसान नहीं. यह वही बता सकता है जिसने मौत के बाद खुद को जिन्दा पाया है. एक पुराना सवाल है प्रश्न-मृत्यु के बाद क्या है..? क्या मृत्यु जीवन का पूर्ण-विराम है या फिर किसी Read more…

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स्कूली प्रार्थनाओं पर रोक नहीं लगनी चाहिए

एक हज़ार से अधिक केंद्रीय विद्यालयों में प्रार्थना के जरिए खास धर्म को बढ़ावा देने की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और केन्द्रीय विद्यालय संगठन को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह के भीतर जवाब दाख़िल करने को कहा है | विगत 10 जनवरी 2018 को Read more…

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सरकार को कौन बना रहा है कर्जदार ?

क्या नोटबंदी और जी एस टी ने देश की मुश्किलें बढ़ा दी हैं ? हाँ , जी एस टी ने सरकार का राजस्व घटा दिया है | इसलिए अब केंद्र सरकार अपना कामकाज चलाने के लिए पचास हजार करोड़ रूपये कर्ज़ लेने के लिए मजबूर है |अब सरकार ने मान Read more…

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वह घोटाला होकर भी नहीं हुआ ! ?

क्या 2007 में कोई 2 जी घोटाला हुआ था ? अगर सीबीआई की विशेष अदालत की मानें , तो ऐसा कुछ हुआ नहीं ! अदालत द्वारा विगत 21 दिसंबर 2018 को सभी आरोपियों को क्लीन चिट मिलना यही तो बताता है कि जिसे लेकर खूब हो – हल्ला मचा , Read more…

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आधार – विकल्प की खोज

”आधार ” की मार से मौत तक होने की खबरों के बीच सरकार अभी तक नहीं चेती है कि इसके विकल्प पर विचार करे | इस प्रकार की खबरों की अब कमी नहीं रही कि आधार कार्ड की अनिवार्यता से परेशानी बढ़ी है , चाहे यह सीमित स्तर पर हो Read more…

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” आधार ” पर वार क्यों ?

आधार की अनिवार्यता के ख़िलाफ़ अब भाजपा के नेता भी आवाज़ उठाने लगे हैं | भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आधार पर तीखी टिप्पणी करते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। स्वामी ने यह भी कहा कि मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट आधार की अनिवार्यता Read more…

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राशन घोटालों के सामने बड़ी लाटरियाँ भी फेल

हमारे देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का भ्रष्टाचार से पुराना संबंध है | यह प्रणाली पी डी एस नाम से मशहूर है | यह प्रणाली अभाव की स्थिति में खाद्यान्नों का प्रबंध करने एवं उन्हें उचित मूल्य पर वितरण के लिए तैयार की गई थी | 1992 तक यह प्रणाली Read more…

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रोहिंग्या क्यों दुश्मन हैं हमारे ?

रोहिंग्या समस्या के शीघ्र हल के लिए विभिन्न स्तरों पर जो प्रयास किए जा रहे हैं , उनकी जिंतनी सराहना और प्रशंसा की जाए , कम है , क्योंकि यह पूरी तरह एक मानवीय समस्या है | सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई तक रोहिंग्याओं को वापस न भेजा जाए | दूसरी ओर संयुक्त Read more…

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मंदी और विकास साथ – साथ नहीं चल सकते

मोदी सरकार आज अपनी आर्थिक नीतियों को लेकर कठिन परीक्षा के दौर से गुज़र रही है | 2014 में सत्तासीन हुई मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां आज सवालों के घेरे में हैं | सवाल सिर्फ़ प्रतिपक्ष या अन्य तटस्थ देशी – विदेशी संस्थाएं ही नहीं उठा रही हैं , अपितु Read more…

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पेट भरेगा , तभी घर में ठहर पाएगी जनता

दुनियाभर में कुपोषित लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। हमारे देश में अच्छे स्वास्थ्य के लिए और कुपोषण दूर करने हेतु अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं , मगर नतीजा निराशाजनक ही है | हमारा देश आज भी कुपोषित और भूखा है। ‘ मिड डे मील ‘ की Read more…

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नेपाल के पास भारत को तबाही व बर्बादी में डालने का ‘ ब्रह्मास्त्र ‘ !

 नेपाल के पास भारत को ‘ जल – प्रलय ‘ और ‘ जल – संकट ‘ में गिरफ्तार करने का रिमोट कंट्रोल है ! अभी कुछ सप्ताह पहले  नेपाल से एकाएक नौ लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद स्थिति और भी खतरनाक हो गई थी। बाराबंकी सहित एल्गिन चरसरी Read more…

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काबू में क्यों नहीं आ रही है देश की गरीबी ?

हमारे देश में गरीबी के आंकडे बड़े भयावह हैं | यहाँ की 22 फ़ीसद आबादी गरीबी – रेखा के नीचे गुज़र – बसर कर रही है | 265 मिलियन लोग बेहद गरीब हैं | एक प्रमुख न्यूज़ चैनल द्वारा प्रसारित आंकड़ों के अनुसार , इन गरीबों में 142 मिलियन लोग Read more…

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कितना बिगाड़ा हमने देश को ?

हमारे देश की गणना बड़े लोकतांत्रिक देशों में होती है , लेकिन यह भी सच है कि जनसमस्याओं को हल करने में हमने बड़ी कोताही बरती है | ऐसी अनेक गंभीर समस्याएं हैं जो देश की आज़ादी के बाद पिछले सात दशकों से अनसुलझी अवस्था में हैं | इसका मुख्य Read more…