इतिहास गवाह है कि जब – जब इस धरती पर नारी को भोग्या बनाने का प्रयास हुआ है, तब – तब महाभारत जैसा महायुद्ध एवं महाविनाश हुआ है,वह चाहे सीताजी को लेकर राम – रावण के बीच हुआ हो, चाहे द्रोपदी को कौरवों एवं पाण्डवों के बीच हुआ हो या जगतजननी नवदुर्गा एवं राक्षसों के मध्य रहा हो। नारी को आदिकाल से शक्तिस्वरूपा देवी समान माना गया है और कन्याओं को साक्षात दुर्गा का स्वरूप मानकर कन्या भोज कराया जाता है। कलयुग में नारी देवी शक्तिस्वरूपा नहीं बल्कि कामवासना तृप्ति का एकमात्र माध्यम मान लिया गया है और और दुनिया भर में उनकी मजबूरियों का फायदा उठाकर यौन प्रताड़ना की जा रही है।इधर नौकरी के नाम महिलाओं के यौन प्रताड़ना करने का जैसे रिवाज होता जा रहा है चाहे वह सरकारी सेक्टर हो चाहे प्राइवेट सेक्टर हो हर जगह नौकरी के लिए महिलाओं को यौन उत्पीड़न का दंश झेलना पड़ता है। नौकरी देने एवं नौकरी बरक़रार रखने के नाम पर उनका शोषण करने का दौर लम्बे अरसे से चल रहा है और शायद यह पहला मौका है जबकि यौन प्रताड़ना की शिकार महिलाओं को आमजनता के सामने सोशल मीडिया के माध्यम से अपना दर्द व्यक्त करने का अवसर मिला है।यौन प्रताड़ना की शिकार महिलाओं का मीट टू अभियान चलाया जा रहा है और तमाम मीट टू के मामले सोशल मीडिया के जरिए अब तक सामने आ चुके हैं। नवरात्रि शुरू होते ही केन्द्र सरकार के एक मंत्री भी इस मीट टू अभियान से घिरे और उन्हें मंत्रिपद से इस्तीफ़ा देना पड़ा। आरोपित केन्द्रीय मंत्री एम जे अकबर पर मीट टू के तहत यौन प्रताड़ना करने का लगाया गया।आरोप उस समय का है जबकि वह देश के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार थे और पत्रकारों की नियुक्ति करने का अधिकार उनके पास था। उन पर एक नहीं करीब एक दर्जन पत्रकार महिलाओं ने नौकरी के नाम पर यौन प्रताड़ना करने का आरोप लगाया है। इसके बाद राजनैतिक गलियारों में एक तूफान सा आ गया है और केन्द्रीय मंत्री के खिलाफ आंदोलन प्रदर्शन के साथ इस्तीफा देने की माँग होने लगी थी । खास बात यह है कि इस मीट टू अभियान में देश दुनिया के जितने भी लोग आरोपित किये गये हैं सभी शिक्षित उचित पदों पर आसीन हैं और सभी जिम्मेदार नियुक्ति करने का अधिकार रखने वाले गणमान्य लोग शामिल हैं।इस मीट टू अभियान से उनके चेहरे बेनकाब होने लगे हैं और दुनिया भर में यह अभियान चर्चा का विषय बन गया है।पूर्व केन्द्रीय मंत्री पर अभी हाल में आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार प्रियंका रमानी का कहना है कि यह घटना बीस साल पहले उस समय हुयी थी जब वह उनके साथ पत्रकारिता करती थी। आरोपी मंत्री इसे सरासर झूठा, शरारतपूर्ण, श्रृंखलाबद्ध  प्रेरित, पूर्व नियोजित कुचक्र मान रहे हैं और उन्होंने गवाहों सबूतों के साथ सर्वोच्च न्यायालय से न्याय की गुहार लगाई है। दूसरी तरफ आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार ने कहा कि वे सच के सहारे मानहानि के मुकदमें का सामना करेंगी।आरोपी एम जे अकबर भले ही आज चोला बदल चुके हों, लेकिन उन पर आरोपों की झड़ी लगने के बाद पत्रकार जगत को गहरा आघात लगा है। महिलाओं के आरोपों के बाद यह बात जग ज़ाहिर हो गयी है कि पत्रकारिता क्षेत्र में किस क़दर गिरावट आई है।

– भोलानाथ मिश्र

वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी

रामसनेहीघाट, बाराबंकी, यू पी

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