अच्छे ईसा हो मरीज़ों का ख़याल अच्छा है

हम मरे जाते हैं तुम कहते हो हाल अच्छा है

देख ले बुलबुल-ओ-परवाना की बेताबी को

हिज्र अच्छा न हसीनों का विसाल अच्छा है

आ गया उसका तसव्वुर तो पुकारा ये शौक़

दिल में जम जाए इलाही ये ख़याल अच्छा है |

अमीर मीनाई के ये अशआर एक बेबस और बेकस इन्सान की अभिव्यक्ति हैं , जो अच्छाई की आस में मुद्दतों टुकुर – टुकुर बस देखता जाता है ! कब उसे विकास मिलेगा ? कब उसे इन्साफ मिलेगा ? कब उसके जीवन में संपन्नता साकार होगी ? उसका जीवन अगर असुरक्षित है , तो जीवन का उद्धार कैसे हो ? ये सभी प्रश्न देश में उत्तर प्रदेश समेत कई स्थानों पर खड़े हो गए हैं | उत्तर प्रदेश में इंकाउन्टरों पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं , जबकि अपराधियों को कदापि संरक्षण नहीं मिलना चाहिए | अगर अपराधियों से राजनेताओं का गठजोड़ हुआ तो देश का तंत्र ही ध्वस्त हो जाएगा | इलाहाबाद हाईकोर्ट का उन्नाव गैंग रेप मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को बिगड़ती क़ानून – व्यवस्था के लिए कठघरे में खड़ा करना उचित ही लगता है , क्योंकि ‘ इंकाउन्टर मास्टर ‘ बनी उत्तर प्रदेश सरकार के प्रति यह संदेश खुलकर जा रहा था कि सत्तासीन वर्ग किसी नियम – क़ानून से परे है | राजनीतिक दलों और ख़ासकर मीडिया द्वारा दबाव बनाये जाने के कारण आरोपी विधायक पर केस दर्ज होना और मामले की सीबीआई जाँच के आदेश के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के त्वरित आदेश के अनुपालन में विधायक की गिरफ़्तारी गुमशुदा इन्साफ़ की तलाश ज़रूर है , लेकिन पुलिस को इसका श्रेय कदापि नहीं जाता | सीबीआई ने यह क़दम उठाया है | धड़ाधड़ इंकाउन्टर करने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस उन्नाव गैंगरेप मामले के मुख्य आरोपी बांगरमऊ के भाजपा विधायक को नहीं गिरफ्तार कर पा रही थी ! बाहुबली के आगे उसके हाथ – पैर फूल गए थे | वह शायद विधायक की बात सही मान रही थी | विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने अपनी सफ़ाई में साफ़ किया था कि ‘ वे निर्दोष हैं और आरोपी परिवार क़सूरवार है | उन्हें फंसाया जा रहा है | ‘ इस मामले में योगी सरकार ने एक दिन में फैसला सुना दिया था। भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, जिन पर पीड़ित महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया था , उन्हें क्लीन चिट दे दी गई थी। इसमें कोई शक नहीं कि आरोपी विधायक को बचाने की पूरी कोशिश की गई | इस मामले में पिछले दिनों प्रेस कांफ्रेंस करते हुए करते गृह विभाग के अधिकारी ने कहा था कि पीड़ित महिला ने मजिस्ट्रेट के सामने 164 के तहत दर्ज हुए बयान में भाजपा विधायक सेंगर का नाम नहीं लिया था। जबकि पीड़ित महिला रो-रोकर भाजपा विधायक पर आरोप लगा चुकी है। पीड़िता यह भी कहती रही कि उसकी पिता को जान का ख़तरा है मगर उसकी एक न सुनी गई | अंत में वही हुआ जिसकी आशंका थी | पुलिस हिरासत में पीड़िता के पिता की मौत हो गई। अभी कुछ ही दिन पहले उन्नाव में पीड़िता के पिता को विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई और उसके गुर्गों ने न्यायलय में लंबित चल रहे मुकदमे को वापस लेने से इन्कार करने पर वहां पीट-पीट कर अधमरा कर दिया था | इसके बाद माखी थाना क्षेत्र पुलिस ने उसके खिलाफ ही मुकदमा दर्ज कर उसको जेल भेज दिया था, जबकि काफी दबाव के बाद किशोरी की मां की तरफ से दी गई तहरीर में विधायक के भाई का नाम पुलिस ने दर्ज नहीं किया था | पीड़िता का आरोप है कि विधायक के दबंग भाई और उनके साथी असलहे के बल पर उसके पिता को घर से घसीटते ले गए , जिसके बाद उन्हें पेड़ से बांधकर बुरी तरह पीटा गया था | उसके बाद उन्हें पुलिस की मिलीभगत से हवालात में बंद कर दिया गया, जहां इलाज अभाव में उनकी मौत हो गई | पीड़िता आशंकित है कि जल्द ही उसको भी मौत के घाट उतार दिया जाएगा |

उन्नाव जिले के बांगरमऊ से भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सिंह पर आरोप है कि विधायक के भाई और गुर्गो ने माखी थाना क्षेत्र में रहने वाले एक परिवार को घर मे घुसकर विगत तीन अप्रैल को जमकर मारपीट की थी | आरोप है कि बेटी को अगवा कर उसके साथ दुष्कर्म करने की शिकायत के बाद भाजपा विधायक के भाई ने परिजनों को जमकर पीटा था | पीड़िता के पिता की मौत के बाद आरोपी विधायक के भाई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है | हवालात में मौत के सिलसिले में कुछ पुलिस अधिकारी और कर्मी निलंबित किए गए हैं | उल्लेखनीय है कि उन्नाव के माखी थानाक्षेत्र की रहने वाली युवती ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर आरोप लगाया कि जून 2017 में उन्होंने उसे बंधक बनाकर कई बार रेप किया | यहीं नहीं उन्होंने अपने गुर्गों से भी रेप कराया | पीड़िता ने थाने में आरोपी विधायक के खिलाफ तहरीर दी, तो पुलिस ने कार्रवाई नहीं की | इसके बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई | इस मामले को लेकर पीड़िता का परिवार कई बार लखनऊ में पुलिस के उच्चाधिकारियों से भी मिला | एक बार मुख्यमंत्री से जनता दरबार में गुहार लगाई, लेकिन जांच की बात कहकर मामले को टाल दिया गया | इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चिंता के साथ ही कांग्रेस का विरोध और उसका कैंडिल मार्च भी यादगार है | आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने कहा कि पीड़ित महिला ने बताया कि उसने एक साल पहले इसकी शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी की थी। मुख्यमंत्री ने उस वक्त इंसाफ़ दिलाने का आश्वासन दिया था , लेकिन एक साल के बाद इंसाफ़ मिलने के बजाय उसके पिता को ही मार दिया गया। यह शर्मनाक है, यह शर्मनाक है …. इसके बाद योगी जी सोचें क्या उन्हें पद पर रहना चाहिए। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी मुख्यमंत्री योगी से इस्तीफे और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। मगर यह बात साफ़ है कि इस्तीफ़ा देने भर से क्या समस्याएं समाप्त हो जाएँगी , कदापि नहीं | यह केवल राजनीतिक मांग है , जिससे हरहाल में बचा जाना चाहिए | मुख्यमंत्री के कामकाज का आकलन मात्र एक घटना से नहीं किया जा सकता | – Dr RP Srivastava , Editor – in – Chief , Bharatiya Sanvad

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