धर्म
प्रेम का ही अद्वैत स्वरूप है श्रीकृष्ण का महारास !
सोलह कलाओं से परिपूर्ण भगवान श्रीकृष्ण का अवतार मुख्यत: आनंद प्रधान माना जाता है। उनके आनंद भाव का पूर्ण विकास उनकी मधुर रस लीला में हुआ है। यह मधुर रस लीला उनकी दिव्य रास क्रीड़ा है , जो शृंगार और रस से पूर्ण होते हुए भी इस स्थूल जगत के Read more…