खासमखास

यथार्थवादी पुट से परिपूर्ण “डेढ़ आंख से लिखी कहानियां”

प्रतिभावान कथाकार तेजबीर सिंह सधर का प्रथम कथा संग्रह “डेढ़ आँख से लिखी कहानियाँ” पढ़ते समय ऐसा लगा कि एक ऐसे उपवन में विचरण कर रहा हूं, जहां नाना प्रकार के पुष्प अपनी सुगंध बिखेर रहे हैं। पाठक इनमें अनायास खो-सा जाता है। उसे यह भी बोध नहीं होता कि Read more…

खबरनामा

पुस्तक कुछ कहती है 

कहानियों का कारवाँ (उर्दू एवं अरबी की चयनित कहानियाँ) अनुवाद एवं संपादन – राम पाल श्रीवास्तव प्रकाशक – समदर्शी प्रकाशन, साहिबाबाद प्रथम संस्करण – 2024 मूल्य – 200 रुपए ….. उर्दू “कहानियों का कारवाँ” वजही (1635) की प्रतीकात्मक कथा “सबरस” से शुरू होकर सैयद सज्जाद हैदर की कहानी “नाश्ते की Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

नए क्षितिज की तलाश करता “कहानियों का कारवां”

उर्दू अदब में अफसानानिगारी का चलन जितना पुराना है, उतना ही विदेशी कहानियों का देवनागरी लिपि में लिप्यंतरण एवं अनुवाद भी बहुत दिलचस्पी से किए व पढ़े जाते रहे हैं। तर्जमा के माध्यम से ही हम दुनिया भर की जुबानों में रचे गए साहित्य के रूबरू हुए हैं। ऐसा ही Read more…

खासमखास

संवेदना का समंदर है “तृप्ति की एक बूंद

कहानी की भाषा सपाट नहीं होती। उसमें सहजता के साथ अस्वाभाविकता का पुट मिले तो कोई हर्ज नहीं ! लेकिन यदि कहानी में संवेदनशीलता न हो, तो वह कोई पुष्ट कहानी नहीं बन पाएगी। फिर ज़बरदस्ती खींचतान हुई, तो उसकी आत्मा का मरना लाज़िम है, चाहे उसे आत्महत्या नाम दिया Read more…

खासमखास

“कहानियों का कारवां” की नितांत पठनीयता 

वाकई किसी कवि ने  कहा था –  हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे, कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे  । किसी कवि की उक्त पंक्तियाँ उस समय चरितार्थ हो उठी ज़ब आदरणीय लेखक श्री रामपाल श्रीवास्तव जी द्वारा लिखित किताब “कहानियो का कारवाँ ” पढ़ने का सौभाग्य मिला ।  आज उस Read more…

खासमखास

“अवतारवाद – एक नई दृष्टि” का सफल मंतव्य 

अवतारवाद पर  राम पाल श्रीवास्तव जी की किताब “अवतारवाद एक नई दृष्टि ” सच में एक नई दृष्टि लेकर हमारे सामने आई है। किताब को मैंने दो बार पढ़ा। किताब में बहुत से नए पहलुओं के बारे में बात की गई है। इसके लिए बात करने से पहले अध्ययन बहुत Read more…

खासमखास

” ईश्वर, अल्लाह एक है फिर क्यों यह कोहराम ?”

कविता कवि की शान है, हालत उससे जान, सुंदर स्वर्ण कविता की, यही होत पहचान | – आर के रस्तोगी वास्तव में दोहा ने ही हिंदी कविता को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है | यह कम शब्दों में बड़ी बात कहने की प्रभावकारी विधा है | अर्थात, गागर Read more…

खासमखास

साहित्य सिलसिला “- साहित्य जगत को नायाब तोहफ़ा

चर्चित उपन्यासकार डॉक्टर अजय शर्मा के सुसंपादन में प्रकाशित पत्रिका ” साहित्य सिलसिला ” का अक्टूबर 2023 अंक मेरे पास कुछ अधिक ताखीर से मिला। इसकी मुख्य वजह मेरा गाँव में रहना है। सेवानिवृत्ति उपरांत मैंने अपने पुश्तैनी आवास को अपना ठिकाना बनाया हुआ है। चूँकि यह देश के पिछड़े Read more…

खासमखास

” शब्द-शब्द ” का प्रखर कवि अंतस 

” मेरी कविता आयास रचित नहीं, अनुभूत होती है, दुःख-सुख, वेदना और संवेदना की प्रसूत होती है, जब जब भी जुल्मोसितम बरपा होता है इंसानियत पर, कवि-अंतस के बृहत शब्द-संसार में स्वतः स्फूर्त होती है। “ “‘शब्द-शब्द’ केवल संजोये हुए शब्द नहीं, अपितु बीते लगभग दो दशकों की वेदना, समवेदना, Read more…

खबरनामा

मन-मस्तिष्क को झिंझोड़ते हुए

“बचे हुए पृष्ठ ” द्वारा : राम पाल श्रीवास्तव विधा : आलेख शुभदा बुक्स द्वारा प्रकाशित पृष्ठ संख्या : 181 मूल्य : 320.00 समीक्षा क्रमांक :112 समीक्षा का ब्लॉग लिंक : https://atulyakhare.blogspot.com/…/Bache-Huye-Prisht-By… समय समय पर उपजी भिन्न भिन्न राजनीतिक परिस्थितियों एवं उनसे संबद्ध ज़ुदा जुदा परिवेशों पर एवं विभिन्न ज्वलंत Read more…

खासमखास

लंबे अनुभव और समग्र दृष्टि के द्योतक हैं ‘बचे हुए पृष्ठ’

पत्रकारिता के लिए यह सबसे दुःखद समय है। या तो आप वो लिखें और बोलें जो सत्ता में बैठे लोग चाहते हैं या फिर पुलिसिया हथकंडे का शिकार होकर जेल जाने के लिए तैयार रहिए। यह बुराई किसी एक सरकार की नहीं बल्कि वर्तमान समय की है। सत्ता में कौन है Read more…

खासमखास

कस्तूरी कुंडल बसे

कवि और लेखक अपने मन की बात नहीं कहता वह जन मन की बात कहता है। जिसे आमजन कहना तो चाहता है पर शब्दों या परिस्थितियों के अभाव में नहीं कह पाता लेकिन वही आदमी जब साहित्य की किसी धारा से जुड़ता है और उसे लगता है कि अरे यहां Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

“अँधेरे के ख़िलाफ़ ” एक सार्थक पहल

“अँधेरे के ख़िलाफ़ ” काव्य संग्रह द्वारा : राम पाल श्रीवास्तव ‘अनथक’ समदर्शी प्रकाशन गाजियाबाद द्वारा प्रकाशित पृष्ट संख्या: 128 मूल्य : Rs. 200.00 “ ख़ाबे हस्ती मिटे तो हमारी हस्ती हो , वरना हस्ती तो ख़ाब ही की है” जब जीवन की विसंगतियाँ और त्रासद स्थितियाँ सामने आती हैं Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

“अँधेरे के ख़िलाफ़”-जैसे मैंने समझा

वरिष्ठ लेखक आदरणीय राम पाल श्रीवास्तव जी का काव्य संग्रह “अँधेरे के ख़िलाफ़” कुछ दिनों पहले प्राप्त हुई थी. समय अभाव के कारण पढ़ न सका. इधर कुछ समय मिला तो पूरी किताब पढ़ डाली. किसी पुस्तक की समीक्षा लिखना मेरे लिए अत्यंत दुरूह कार्य है. किसी भी लेखक की Read more…

खासमखास

बारंबार पढ़े जाएँगे ” पढ़े जाते हुए शब्द “

” पढ़े जाते हुए शब्द ” हिंदी के यशस्वी कवि दिलजीत दिव्यांशु की चयनित कविताओं का संग्रह है, जिसका संपादन किया है वरिष्ठ कवि एवं लेखक बलवेंद्र सिंह ने | दिलजीत दिव्यांशु मानवीय संवेदना के कवि है, जिन्होंने जीवन को इंतिहाई बारीकी से समझा है और उसके मर्म को अपने Read more…