खासमखास

‘त्राहिमाम युगे युगे’- युगीन मनोभावों का सफल चित्रण

उपन्यास ‘त्राहिमाम युगे युगे’ को पढ़ने और उस पर पाठकीय प्रतिक्रिया लिखने का अवसर मिला | ‘त्राहिमाम युगे युगे’ एक उपन्यास है जिसे जनपद बलरामपुर में जन्मे श्री रामपाल श्रीवास्तव ने लिखा है । उपन्यास का मुख्य पात्र माधवकांत सिन्हा है जो देश के एक नामी मीडिया समूह में कार्यरत Read more…

खासमखास

जीवन के यथार्थ का उपन्यास : ‘त्राहिमाम युगे-युगे’

उपन्यास जीवन के विस्तृत पटल पर फैली अनेक कहानियों की एकाकार प्रस्तुति का नाम है। शब्द सीमा से परे वर्णन की स्वतंत्रता, अनर्गल प्रलाप की पूर्ण संभावना को जन्म देती है। इससे बचना लेखक के लिए मुश्किल होने के साथ साथ अपरिहार्य भी होता है। उपन्यास लेखन लेखक के धैर्य Read more…

खासमखास

संवेदना का समंदर है “तृप्ति की एक बूंद

कहानी की भाषा सपाट नहीं होती। उसमें सहजता के साथ अस्वाभाविकता का पुट मिले तो कोई हर्ज नहीं ! लेकिन यदि कहानी में संवेदनशीलता न हो, तो वह कोई पुष्ट कहानी नहीं बन पाएगी। फिर ज़बरदस्ती खींचतान हुई, तो उसकी आत्मा का मरना लाज़िम है, चाहे उसे आत्महत्या नाम दिया Read more…

खासमखास

“मामक सार” – अंतर्वेदना का संवेग स्वर 

उपन्यास को मैं एक अति क्रांतिकर विधा मानता हूं। इसका कारण केवल शिल्पगत एवं कल्पना-चित्रों के आमूल परिवर्तनों को नहीं समझना चाहिए, अपितु इसकी प्रभावकारिता में दिन-प्रतिदिन पैनापन का सहज रूप से आना है। उपन्यास चाहे वह किसी भी भाषा का हो, अब नायक नायिका के पारंपरिक मिलन-वियोग तक सीमित Read more…

खासमखास

मुस्लिम समाज की समस्याओं पर सम्यक दृष्टि

इस समय मेरे हाथ में लेखक-पत्रकार रामपाल श्रीवास्तव की सद्यः प्रकाशित पुस्तक “ सत्ता के गलियारों में सफ़ेद हाथी” है। यह पुस्तक भारतीय मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक, राजनीति समस्याओं पर आधारित 1983 से 2016 के बीच लिखे 51 आलेखों का संग्रह है। हालांकि यह सच है कि आज किसी भी Read more…

खासमखास

अंधेरे के ख़िलाफ़ का विद्रोही स्वर

‘अवतारवाद : एक नई दृष्टि’ जैसी चर्चित पुस्तक के लेखक रामपाल श्रीवास्तव जी की सद्य: प्रकाशित कविता संग्रह “अंधेरे के ख़िलाफ़” इस समय मेरे हाथ में है।”अंधेरे के ख़िलाफ़” लेखक, कवि का यह दूसरा संकलन है। पहली पुस्तक “शब्द-शब्द” की कविताएं अध्यात्म से ओतप्रोत थीं तो “अंधेरे के ख़िलाफ़” जैसा Read more…

खासमखास

लंबे अनुभव और समग्र दृष्टि के द्योतक हैं ‘बचे हुए पृष्ठ’

पत्रकारिता के लिए यह सबसे दुःखद समय है। या तो आप वो लिखें और बोलें जो सत्ता में बैठे लोग चाहते हैं या फिर पुलिसिया हथकंडे का शिकार होकर जेल जाने के लिए तैयार रहिए। यह बुराई किसी एक सरकार की नहीं बल्कि वर्तमान समय की है। सत्ता में कौन है Read more…

खासमखास

” छठिया ” की दस्तक कथा-जगत की बड़ी उपलब्धि 

कोई कितना भी इन्कार करे, लेकिन इस सत्य पर परदा डालना असंभव है कि भारत कहानी का जन्मदाता है | इस देश से ही कहानियों का आग़ाज़ हुआ, जो आगे चलकर लिपिबद्ध हुआ | यह बात दीगर है कि इस तथ्य पर आधुनिक दौर में भी मतभेद है कि कहानी Read more…

खासमखास

कविताओं की बहार का केंद्र ” रक्तबीज आदमी है “

हिंदी के लब्ध प्रतिष्ठ कवि मोहन सपरा का काव्य – संग्रह ” रक्तबीज आदमी है ” पढ़ने का सुअवसर प्राप्त हुआ | इसमें 28 बीज कविताएं हैं | वास्तव में ये सभी कविताएं हिंदी कविता में प्रयोगवादी धरातल फ़राहम करती हैं और ” तार सप्तक ” व ” प्रतीक ” Read more…

खासमखास

संघर्षों में जीवन रस की तलाश है ” सोख़्ता “

अनुभूतियों और संवेदनाओं के कुशल व ख़ूबसूरत चितेरे, हिन्दी के प्रतिष्ठित रचनाकार अख़लाक़ अहमद ज़ई का उपन्यास ” सोख़्ता ” कमाल का है | इसे लघु उपन्यास कहना बेमानी है | इसमें उपन्यास के सभी गुण मौजूद हैं , जो इसे प्रौढ़ता और दीर्घता की ओर ले जाते हैं | Read more…

खासमखास

” जित देखूँ तित लाल ” – 21 पुस्तकों की तथ्यपरक समीक्षा 

आज जब पुस्तकों की समीक्षाएं प्रायोजित होने लगी हैं। पत्र-पत्रिकाएँ पैसे लेकर पुस्तकों पर समीक्षाएं करने/कराने लगी हैं, ऐसे में जित देखूँ तित लाल का प्रकाशन सुखद ही कहा जा सकता है। इस पुस्तक में इक्कीस पुस्तकों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं लेखक ने। रामपाल श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार हैं, Read more…

सामाजिक सरोकार

सृजनशील पत्रिकाओं में शीर्ष पर ” पूर्वापर ” 

वरिष्ठ साहित्य सेवी लक्ष्मी नारायण अवस्थी जब पिछले दिनों मेरे आवास पर पधारे , तो ” पूर्वापर ५९ ” [ त्रैमासिक ] का अंक मुझे अवलोकनार्थ इनायत किया | इसका प्रकाशन गोंडा से होता है | अच्छा लगा इसे सरसरी तौर पर देखकर , इसलिए भी कि गोंडा जैसे आंचलिक Read more…

देश-देशांतर

शिनाख़्त का बहाना 

टेम्स का हरित वर्णी वेस्ट मिनिस्टर ब्रिज गवाह है सदियों का हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स की हरित सीटों की भाँति हमारे इनहितात का फिर भी सच है – लंदन में बसता है भारत पाकिस्तान, चीन बाँग्लादेश और जापान भी ‘ मिनी फॉर्म ‘ पेश करते इनके ग़ोशे इनके लघुरूप याद दिलाते Read more…

साहित्य

राम जन्मभूमि के मौलवी

अहमदुल्लाह ” मौलवी ” नाम से मशहूर थे अयोध्या के ” राम ” थे अयोध्या में पैदा हुए किन्तु ” घनश्याम ” थे सावरकर के ” फ़रिश्ता ” थे आज़ादी के ” रावण ” और ” कंस ” के काल थे कंपनी सरकार और रॉयल ब्रिटिश इंडिया के संहारक थे Read more…

खासमखास

राम – प्रेम

हमारा राम – प्रेम अगाध प्रेम भक्ति हमारी शक्ति हमारी आसक्ति हमारी आप आदर्श हैं मर्यादा पुरुषोत्तम हैं करते हैं संहार असत का मिथ्या का तभी तो हुआ रावण – वध आपके कर – कमलों से आप ही का हम अनुसरण किए जाते हैं – मेघनाथ कुंभकर्ण और रावण का Read more…