साहित्य
मगर जीवन नहीं छिना करता है
सब कुछ छिन जाता है , मगर जीवन नहीं छिना करता है कण – कण प्रस्तर चूर्ण बनकर दर्पण नहीं मरा करता है दिव्य सुधावर्षण नभ – व्योम से , पल में क्षण छिन जाता है चतुर्दिक आभा हो किंचित, मगर अवसर नहीं मरा करता है , सब कुछ छिन Read more…