साहित्य

स्पीड बढ़ा दी है सरकार के इंजन ने 

क्या कुछ न कहा रोकर नादारों के शेवन ने , कुछ भी न सुना लेकिन सरकार की ऐंठन ने |  बांधा है ‘ चियाँ ‘ सेहरा जब से किसी रहज़न ने , क्या रूप सँवारा है शासन तेरी दुल्हन ने |  क़ानून हुआ उनका ऐसी मिली आज़ादी , नफ़रत का दिया Read more…