खासमखास

अनुचेतना के नए आयामों से प्राणवान “एक सागर अंजलि में”

कविता क्या है ? यही ना, मनुष्य की असीम उत्कंठा की पूर्ति। गहन अभाव ही इसका बीज-तत्व है। निश्चय ही जब यह अभाव लोकोत्तर रूप ग्रहण कर लेता है, तब कवि अपनी अबोधपूर्वा स्मृति में डूबकर नए मोती तलाश कर काव्य रूप में प्रस्तुत कर पाता है। उसके डूबने की Read more…

खासमखास

“मामक सार” – अंतर्वेदना का संवेग स्वर 

उपन्यास को मैं एक अति क्रांतिकर विधा मानता हूं। इसका कारण केवल शिल्पगत एवं कल्पना-चित्रों के आमूल परिवर्तनों को नहीं समझना चाहिए, अपितु इसकी प्रभावकारिता में दिन-प्रतिदिन पैनापन का सहज रूप से आना है। उपन्यास चाहे वह किसी भी भाषा का हो, अब नायक नायिका के पारंपरिक मिलन-वियोग तक सीमित Read more…