खासमखास

मनोरम कल्पना और हृदयग्राही उपमाओं से सज्जित “प्रकृति के प्रेम पत्र”

संसार में प्रेम ही ऐसा परम तत्व है, जो जीवन का तारणहार है। यही मुक्ति और बाधाओं की गांठें खोलता है और नवजीवन का मार्ग प्रशस्त करता है। यह अलभ्य एवं अप्राप्य भी नहीं, जगत भर में बिखरा पड़ा है। तात्पर्य यह कि प्रेम की पाती हर जगह मौजूद है, Read more…

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लाजवाब है “अर्धवृत्त में घूमता सूरज”

विनोद अनिकेत हिन्दी कविता के देदीप्यमान – जाज्वल्यमान नक्षत्र सदृश हैं। इनकी भाषिक संरचना का जवाब नहीं ! भाषा के विशिष्ट सामर्थ्य को उजागर करने का अंदाज़ कोई कवि से सीखे। यही कविता की ख़ास इकाई है। “अर्धवृत्त में घूमता सूरज” इसका जीवंत उदाहरण है, जो उनका पहला काव्य संग्रह Read more…

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“सुन समन्दर” में अनगिनत भावों एवं रिश्तों की गहन तलाश 

सत्य प्रकाश असीम की कविताएं अनगिनत भावों एवं रिश्तों की गहन तलाश और उनका एहतिसाब हैं। इनमें जीवन की नाना प्रकार की अनुभूत गहरी तल्ख़ियां विद्यमान हैं, जो मानव पीड़ा को सहज रूप से निरूपित करने में सक्षम हैं। इसलिए भी उनको दर्द और पीड़ा का कवि भी माना जा Read more…

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भहराते कथा-भवन की “आख़िरी शहतीर”

हिंदी कहानी ने उतार-चढ़ाव भरे कई दौर गुज़ारे हैं। नए आयामों एवं रुख़ को तय किया है। प्रयोगों और आंदोलनों को भी झेला है। इन सबके चलते निश्चय ही कहानी का शिल्पगत स्वरूप निखरा, लेकिन इसके साथ ही इसका एक स्याह पहलू भी उभरकर सामने आया। वह यह कि अतिशय Read more…

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यथार्थवादी पुट से परिपूर्ण “डेढ़ आंख से लिखी कहानियां”

प्रतिभावान कथाकार तेजबीर सिंह सधर का प्रथम कथा संग्रह “डेढ़ आँख से लिखी कहानियाँ” पढ़ते समय ऐसा लगा कि एक ऐसे उपवन में विचरण कर रहा हूं, जहां नाना प्रकार के पुष्प अपनी सुगंध बिखेर रहे हैं। पाठक इनमें अनायास खो-सा जाता है। उसे यह भी बोध नहीं होता कि Read more…

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संवेदना का समंदर है “तृप्ति की एक बूंद

कहानी की भाषा सपाट नहीं होती। उसमें सहजता के साथ अस्वाभाविकता का पुट मिले तो कोई हर्ज नहीं ! लेकिन यदि कहानी में संवेदनशीलता न हो, तो वह कोई पुष्ट कहानी नहीं बन पाएगी। फिर ज़बरदस्ती खींचतान हुई, तो उसकी आत्मा का मरना लाज़िम है, चाहे उसे आत्महत्या नाम दिया Read more…

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सुघड़ शब्दों की साधना है ” उम्मीद की हथेलियाँ ” 

सुघड़ शब्दों की साधना है ” उम्मीद की हथेलियाँ “ ……. फगवाड़ा के प्रखर कवि दिलीप कुमार पांडेय की ” उम्मीद की लौ ” अभी कुछ दिनों पहले मेरे पढ़ने में आई थी, जिस पर मैंने अपनी सहज ही विचाराभिव्यक्ति प्रकट की थी और बेसाख़्ता सोच बैठा था कि कविता Read more…

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” नीरज बख़्शी की बतकहियाँ ” – व्यक्तित्व और कृतित्व का आईना  

” नीरज बख़्शी की बतकहियाँ ” पढ़कर भाई नीरज जी की याद बड़ी शिद्द्त के साथ आई | उनका पत्रकारिता से लगाव और जुड़ाव भी था | कवि थे ही | जब मैं तुलसीपुर होकर अपने गांव मैनडीह जाता , तो तुलसीपुर में उनसे अक्सर व बेशतर ही मुलाक़ात हो Read more…