साहित्य
दिव्य सुवास
ओ शांतनु ! सुवास के प्रेमी परिहास के प्रेमी क्या तूने पाया अनैसर्गिक गंध ? सत्यवती को पाकर सत्या को लाकर क्या तूने पाया दिव्यता का सुवास ? ओ शांतनु ! शांति – लाभ कर चर्चित हस्त – स्पर्श के हर्षित क्या तूने किया शांति का विलोम ? अपने का Read more…