सामाजिक सरोकार

ज़िन्दगी ज़िन्दादिली का नाम है , मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं …

हम रोज़ाना ही देश के विकास के दावे जब सुनते और अख़बारों में पढ़ते हैं , तब – तब ऐसा लगता है कि हक़ीक़त की दुनिया को छोड़कर हम किसी और दुनिया में आ गए | मगर जब हक़ीक़त का पता चलता है और खाने के आश्वासनों के लालीपाप खाते Read more…