खासमखास

निकृष्ट होती ग्रामीण व्यवस्था का यथार्थमयी चित्रण 

कवि, शोधार्थी, उपन्यासकार राम पाल श्रीवास्तव द्वारा रचित उपन्यास “त्राहिमाम युगे युगे” के शीर्षक से ही पाठक मन में यह प्रभाव पड़ जाता है कि यह कृति हर युग में मनुष्य की मनुष्य के हाथों हो रही प्रताड़ना, क्रूर-खसूट अमानुषिकता से उपजे करने की दर्द गाथा है, क्योंकि यह विनाशकारी Read more…