अतिथि लेखक/पत्रकार
“अँधेरे के ख़िलाफ़”-जैसे मैंने समझा
वरिष्ठ लेखक आदरणीय राम पाल श्रीवास्तव जी का काव्य संग्रह “अँधेरे के ख़िलाफ़” कुछ दिनों पहले प्राप्त हुई थी. समय अभाव के कारण पढ़ न सका. इधर कुछ समय मिला तो पूरी किताब पढ़ डाली. किसी पुस्तक की समीक्षा लिखना मेरे लिए अत्यंत दुरूह कार्य है. किसी भी लेखक की Read more…