साहित्य
ज़िन्दगी काहे को है , ख़ाब है दीवाने का
मनुष्य जब सृष्टि के आयामों – उपादानों एवं उसके सौन्दर्य को देखता है तो उसके मन में कभी यह विचार आता ही है कि यह सब क्या और क्यों है ? मिर्ज़ा ग़ालिब सहज ही कह उठते हैं – ये परी चेहरा लोग कैसे हैं ? गमज़ा व इशवा व Read more…