खासमखास

मेरा अस्तित्व

मेरा अस्तित्व……..……… आज साठ पूरा करने के क़रीब पहुंचकर देखा अपने अस्तित्व को अपने आपको अपने में खोकर। अख़बार के मानिंद तुड़े – मुड़े अपने अस्तित्व को जिसके पीछे पड़ा रहा दिनभर शाम के ढलते दियारे को लेकर अब कहां फुरसत कि अपने पन्ने को सीधा करूं ? पढूं, वह Read more…