अतिथि लेखक/पत्रकार

“अँधेरे के ख़िलाफ़ ” एक सार्थक पहल

“अँधेरे के ख़िलाफ़ ” काव्य संग्रह द्वारा : राम पाल श्रीवास्तव ‘अनथक’ समदर्शी प्रकाशन गाजियाबाद द्वारा प्रकाशित पृष्ट संख्या: 128 मूल्य : Rs. 200.00 “ ख़ाबे हस्ती मिटे तो हमारी हस्ती हो , वरना हस्ती तो ख़ाब ही की है” जब जीवन की विसंगतियाँ और त्रासद स्थितियाँ सामने आती हैं Read more…

खासमखास

” शब्द – शब्द ” का रेशा – रेशा भेदने में सफलता 

राम पाल श्रीवास्तव जी का “शब्द-शब्द” काव्य संग्रह जैसे ही खोला तो पाया कवि ने सबसे पहले तो देश के विभिन्न प्रांतों के कवियों की खूबसूरत कविताओं के साथ और उनकी भरपूर जानकारी के साथ एक कोलाज बना दिया है। पहला शब्द आपको अपने मोहपाश में बांध लेता है। फिर Read more…