साहित्य
यह वाणी सदा स्पंदित रहे
शक्ति दो ऐसी कि यह वाणी सदा स्पंदित रहे इधर दानव पक्षियों के झुंड उड़ते आ रहे हैं क्षुब्ध अम्बर में , विकट वैतरणिका के अपार तट से यंत्र पक्षों के विकट हुँकार से करते अपावन गगन तल को , मनुज – शोणित – मांस के ये क्षुधित दुर्दम गिद्ध Read more…