साहित्य

उठेगा वतन कितना वादों से ख़ुदा जाने

आज़ादी – ए भारत के मशहूर हैं अफ़साने, उठेगा वतन कितना वादों से ख़ुदा जाने | हो कांग्रेसी कोई या पार्टी जनता की, ले डूबेंगे हम सबको कुर्सी के ये दीवाने | गड़बड़ किया है देश के हर कारोबार ने, रौंदा है ख़ूब गर्दिशे लैलोनहार ने | उकड़ू बकइयां खेल Read more…

साहित्य

बेगम हज़रत महल 

वाजिद अली की जान वतन की थी आबरू, हज़रत महल थी शाने अवध शाने लखनऊ | दुश्मन को याद आ गया अपनी छटी का दूध, हिम्मत को इनकी देखके हैरां थे सब उदू |   अहले नज़र ही देखेंगे हज़रत महल का काम, तारीख़ की जबीं पे नुमायाँ है जिनका नाम | Read more…