साहित्य
है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़
लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द , सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे हिन्द | ये हिन्दियों के फिक्रे-फ़लक उसका है असर, रिफ़अत में आस्माँ से भी ऊँचा है बामे-हिन्द | इस देश में हुए हैं हज़ारों मलक सरिश्त, मशहूर जिसके दम से है दुनिया में नामे-हिन्द | है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़, अहले-नज़र समझते Read more…