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लाजवाब है “अर्धवृत्त में घूमता सूरज”

विनोद अनिकेत हिन्दी कविता के देदीप्यमान – जाज्वल्यमान नक्षत्र सदृश हैं। इनकी भाषिक संरचना का जवाब नहीं ! भाषा के विशिष्ट सामर्थ्य को उजागर करने का अंदाज़ कोई कवि से सीखे। यही कविता की ख़ास इकाई है। “अर्धवृत्त में घूमता सूरज” इसका जीवंत उदाहरण है, जो उनका पहला काव्य संग्रह Read more…