खासमखास

और हम ग़रीब ही रहे !

आज कई देश कंगाल जो चुके हैं | पूंजीवाद ने सबको खा डाला है ! आज भी पूंजीवाद फैलता जा रहा है, विकल्पहीन बनकर | अमीर और अमीर तथा ग़रीब और ग़रीब हुए हैं |आय – असमानता का फ़ासला बेहद गहरा गया है , यहाँ तक कि साम्यवादी देश भी Read more…