सामाजिक सरोकार

“उग्र” और “चंद्र” की याद दिला ” नीम अब सूख रहा है “…

” नीम अब सूख रहा है ” क्योंकि उसकी छांह के नीचे उसी की छांह को खरीदने – बेचने का जो सिलसिला चल रहा था, उसका आख़िरी नतीजा आ चुका है। पतन के दौर में जिस आदर्श और मूल्य की तलाश कभी हरफ़नमौला रचनाकार राही मासूम रज़ा ने पूरे मन Read more…

साहित्य

प्रदीप मिश्र की ‘भूख’ का यथार्थ 

प्रतिभावान कथाकार प्रदीप मिश्र की चर्चित कहानी ‘भूख ‘ पढ़ने का लोभ – संवरण नहीं कर सका। यह कहानी समाज की सीधी अक्कासी करती है, जो हक़ीक़त पर आधारित अधिक लगती है। अगर ऐसी न होती, तो शायद ही पुरस्कृत होती। वैसे किसी भी समाज में हर जगह एक जैसी Read more…