सामाजिक सरोकार
“उग्र” और “चंद्र” की याद दिला ” नीम अब सूख रहा है “…
” नीम अब सूख रहा है ” क्योंकि उसकी छांह के नीचे उसी की छांह को खरीदने – बेचने का जो सिलसिला चल रहा था, उसका आख़िरी नतीजा आ चुका है। पतन के दौर में जिस आदर्श और मूल्य की तलाश कभी हरफ़नमौला रचनाकार राही मासूम रज़ा ने पूरे मन Read more…