खासमखास

“कहानियों का कारवां” की नितांत पठनीयता 

वाकई किसी कवि ने  कहा था –  हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे, कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे  । किसी कवि की उक्त पंक्तियाँ उस समय चरितार्थ हो उठी ज़ब आदरणीय लेखक श्री रामपाल श्रीवास्तव जी द्वारा लिखित किताब “कहानियो का कारवाँ ” पढ़ने का सौभाग्य मिला ।  आज उस Read more…