साहित्य

मेरे ‘बड़के दादा’ – ‘ शंकर लाला ‘- बलरामपुर की महान हस्ती 

आज दादा की याद बड़ी शिद्द्त के साथ आ रही है…. कारण पता नहीं, पता है तो सिर्फ़ उनका स्नेह – प्यार – भ्रातृत्व जो मेरे लिए बेमिसाल है। मेरे सबसे बड़े भाई जो ठहरे ……. ऐसे भाई जो हर हाल में अपने थे…………………………..अपनत्व का भाव इतना बढ़ा हुआ कि Read more…