धर्म
श्री दुर्गा चालीसा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी । नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ॥ निराकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूं लोक फैली उजियारी ॥ शशि ललाट मुख महा विशाला । नेत्र लाल भृकुटी विकराला ॥ रुप मातु को अधिक सुहावे । दरश करत जन अति सुख पावे ॥ तुम संसार शक्ति Read more…