साहित्य
कश्ती मेरी डूबी कि वो साहिल उतर गया
दो रोज़ में शबाब का आलम गुज़र गया , बदनाम करने आया था बरबाद कर गया | बीमारे गम मसीह को हैरान कर गया , उठा , झुका , सलाम किया , गिर के मर गया | गुज़रे हुए ज़माने का अब तज़किरा ही क्या , अच्छा गुज़र गया , Read more…