देश-देशांतर

ऐ आफ़ताबे सुबहे वतन! तू किधर है आज

ऐ आफ़ताबे सुबहे वतन! तू किधर है आज, तू है किधर कि कुछ नहीं आता नज़र है आज। तुझ बिन जहां है आंखों में अंधेर हो रहा, और इंतिज़ामे दिल ज़बरो ज़ेर हो रहा। तुझ बिन सब अहले दर्द हैं दिल मुर्दा हो रहे, और दिल के शौक़ सीनों में Read more…