साहित्य
सत्कर्म तुम करते रहो
सत्कर्म तुम करते रहो जो कभी मिटता नहीं ,पाषाण पर रोपा गया पौधा कभी फलता नहीं . उठो , हिम्मत – हौसले से निज कर्तव्य में लग जाओ कुंठा ,निराशा , हताशा को पास कभी मत लाओ जो है सच्चा इन्सान कभी पुरुषार्थ से डिगता नहीं , पाषाण पर Read more…